अब तक के विधानसभा भवन के इतिहास को देखते हुए इस बार भी नवगठित विधानसभा में 200 विधानसभा सदस्यों का आँकड़ा पूरा नहीं होगा।
विधानसभा के नये भवन बनने के बाद से ही आज तक इसके साथ ऐसा ही दुर्यॉग देखा गया हैं कि कभी इस भवन में कभी भी एक साथ 200 विधायक एक साथ भी बैठें। इस बारे में ये भी कहा जाता जिस भूमि पर विधानसभा भवन बनाया गया हैं उस भूमि पर पहले श्मशान था । उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की सरकार ने इस भूमि का अधिग्रहण किया था। उस समय भी कई विद्वान लोगो ने इस भूमि को लेने के लिये मना कर दिया था लेकिन सरकार ने आख़िरकार इस भूमि पर विधानसभा भवन बनाने का निर्णय के लिया था और उसी के बाद आज तक इस विधानसभा को अभिशाप मिला हुआ हैं।
इसके साथ ही सचिवालय के बारे में भी एक किवदंती जुड़ी हुई हैं कि सचिवालय में भी एक कमरें में भी आज तक ताला लगाया हुआ हैं। उसे आज तक किसी के लिए नहीं खोला हैं और उस कमरें में कोई भी बैठता। कोई भी अधिकारी और मंत्री उस कमरें में बैठनें से कतराते हैं और डरते हैं। शासन के राज में भी इस तरह का डर देखना बड़ा अजीब सा लगता हैं लेकिन जान सभी को प्यारी होती हैं इससे ये भी देखा जाता हैं।
विज्ञान के इस युग में कई लोगों को इन बातों पर विश्वास भी नहीं होता होगा लेकिन प्रत्यक्ष में ये तो दिखायी ही देता हैं।और चाहे ऊपरी मन से कहे या अंदरूनी मन से कहे किसी ना किसी तर्क के साथ इसको मान ही लेते हैं।
इसके शांति के लिए भी कई बार यहाँ पूजा पाठ और अनुष्ठान करवाए गए हैं। लेकिन आज तक इस भवन की शांति नहीं हो पायी हैं और एक सदस्य की हानि हो ही जाती हैं। नये भवन के मुख्य द्वार के भूतल पर श्मशान के समय से ही प्राचीन शिव मंदिर भी स्थापित हैं। जिसके वजह से इसका प्रभाव कम होना माना जाता है। भवन निर्माण के समय भी 3 मजदूरों की मौत हो गई थी। तब से ये सिलसिला आज तक चला आ रहा हैं।