Monday, December 23, 2024

आंतरिक गुटबाज़ी, कलह और कार्यकर्ताओं की नाराज़गी के चलते छीन ली जीतने की ख़ुशियाँ, काशी और अयोध्या का यू हुआ ऐसा हाल

Must read

केन्द्र में नरेन्द्र मोदी तीसरी बार सरकार तो बनाने जा रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश खासकर अयोध्या के झटके और काशी में जीत के कम अंतर ने उनसे खुशियां छीन लीं हैं। अयोध्या में भाजपा को 54 हज़ार वोट से सीट गवानी पड़ी। वहीं, काशी में मोदी की जीत का अंतर 3.15 लाख कम हो गया। इससे पहले मोदी कभी किसी चुनाव में वोट के हिसाब से नहीं पिछड़े, लेकिन इस बार शुरुआती चरण में एक बार वो कांग्रेस के अजय राय से पीछे भी हो गए। मोदी के नाम एक और अनचाहा रिकॉर्ड बन गया कि किसी मौजूदा पीएम के चुनाव में हार-जीत के अंतर का ये दूसरा सबसे कम आंकड़ा है।

नतीज़ों के बाद से बनारस इकाई के भाजपाइयों, खास कर पुराने कार्यकर्ताओं में जबरदस्त आक्रोश है। संगठन में स्थानीय बड़े नेताओं का अतिविश्वास और कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। पुराने समर्पित कार्यकर्ता खुद की उपेक्षा को इस नतीजे का प्रमुख कारण बता रहे है। 

हाशिये पर धकेल दिए गए भाजपाई नाम न छापने की शर्त परकहते हैं कि लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होने के करीब 6 महीने पहले चुनाव समन्वयक वाराणसी भेजे गए। इन्‍हें नए नवेले भाजपाईयों ने पूरी तरह से अपने काबू में कर रखा था। ज़मीनी कार्यकर्ताओं से बस कागज़ी रिपोर्ट मंगवाई जाती थी। स्थानीय मुद्दों पर असल तस्वीर क्या है, कैसे समस्याओं को दूर करना है,इस पर कोई सार्थक चर्चा कभी नहीं हुई। बस पार्टी दफ्तर और होटल कमरों में नए नवेले भजपाईयों के साथ कागज़ों पर 500 से ज्यादा बैठक का रिकॉर्ड बना दिया गया।

पुराने भाजपाई दबी जुबान में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए राज्य से लेकर केंद्र द्वारा तैनात प्रभारियों पर गंभीर आरोप लगाते हैं। पार्टी की कार्यशैली से निराश एक कार्यकर्ता जो 2014 में प्रमुख पद पर थे, ने बताया हैं कि नव नियुक्त लोकसभा प्रभारियों को गाड़ी, पैसा, बढ़िया होटल, मोबाइल जैसे गिफ्ट देकर अपने सिंडिकेट का अघोषित हिस्सा बना लिया गया। इसी का फायदा उठाकर विधान परिषद की सदस्यता भी ले ली। ये वही लोग हैं, जो कभी अन्य दलों की विचारधारा के साथ थे। पर 2014 में बदलाव की बयार को देखते हुए अपने व्‍यावसायिक हितों के लिए भाजपा में आ गए। इन लोगों ने बस रेडियो पर मन की बात चौराहे पर सुनकर उसका मीडिया में प्रचार-प्रसार कराया और इसका फायदा उठाकर पैसे के दम पर पद ले लिए। जो वास्तविक विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ता लोगों के बीच मन की बात को आमजन को समझा रहे थे, वो इन प्रभारियों से उपेक्षा का ही शिकार हुए।

भाजपा के प्रमुख इकाई से आनुषांगिक संगठन में पहुंचा दिए गए एक कार्यकर्ता ने कहा कि जो लोग सत्ता का सुख भोगने के लिए पार्टी से जुड़े, उन लोगों ने कभी भी वैचारिकी प्रसार के मानक पर कोई काम नहीं किया। बस उन्होंने बड़े नेताओं के साथ फोटो खिंचवाकर अपने व्यवसाय के तरक्की के लिए ही काम किया। पार्टी की नीतियों और सरकार के कामकाज के प्रचार से ज्यादा इन लोगो ने अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का प्रचार किया। किसी ने हॉस्पिटल तो किसी ने शो रूम, अपने बिल्डिंग कारोबार तो किसी ने अपने रेस्टोरेंट को आगे बढ़ाने के लिए सत्ता का खूब दोहन किया।

इसके अलावा कार्यकर्ताओं की दबंगई की कई घटनाओं ने जनता की नज़र में पार्टी को शर्मसार किया। आम चुनावों की घोषणा के पहले से लेकर वोटिंग के आखिरी चरण तक करीब आधा दर्जन घटनाओं ने बनारस में भाजपा के खिलाफ माहौल बना दिया। सबसे पहली घटना आईआईटी छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के आरोप में भाजपा आईटी सेल के 3 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की है।इसके बाद चुनावों के बीच गुदौलिया चौराहे पर भाजपा से जुड़े हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं का पुलिस से उलझना और एक स्थानीय मामले को लेकर चिताईपुर थाने का घेराव और बीएचयू के हृदय विभाग के अध्यक्ष का यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ आमरण अनशन आदि ऐसे मामले रहे जिसकी वजह से भाजपा की जबरदस्त किरकिरी हुई। आरोपियों का बचाव करने को लेकर भी आमजन खासे आक्रोशित थे। इन सभी मामलों को विपक्ष के बड़े नेताओं– अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी औऱ अजय राय ने उठाया और खूब जुबानी हमले किए।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article