नारकीय जीवन जीने को क्यों मजबूर
एक आख़िरी उम्मीद कलेक्टर के पास और न्याय की आस, कहीं बीकानेर जैसे हादसा ना हो जाए दुबारा
जोधपुर में जोजरी नदी का प्रदूषण आज एक गंभीर संकट बन चुका है, जिसका प्रभाव न केवल पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि क्षेत्र के किसान, जीव-जंतु और मानव जीवन भी इसके कारण संकट में हैं। थोड़े लालच के चक्कर में प्राणियों की जान इतनी सस्ती कैसे हो सकती हैं । ये एक बड़ा सवाल खड़ा करता हैं सरकार पर और सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों के ऊपर आखिर क्यों उन्होंने बंद कर रखी हैं ।
क्षेत्र की फैक्ट्रियों एवं उद्योगों द्वारा बिना किसी शुद्धिकरण के अपशिष्ट जल सीधे नदी में छोड़ने से नदी की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। यह प्रदूषण केवल नदी के जल को गंदा नहीं कर रहा, बल्कि कृषि और पशुपालन के लिए भी अत्यधिक हानिकारक साबित हो रहा है।
प्रदूषण के परिणामस्वरूप किसानों की फसलों को नुकसान तो हो ही रहा हैं साथ ही नदी तंत्र के आस-पास के निवासी, जीव-जंतु और पशुओं में भयानक रोग फैल रहे हैं। अगर समय रहते इसके समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते है, तो भविष्य में पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके परिणाम और भी अधिक विकट हो सकते हैं।
रात में पूरा गांव जहरीली गैस की चैम्बर बन जाता हैं
आपको दिखाते हैं किस तरह पूरा गांव कलेक्टर साहब के सामने खड़ा गिड़गिड़ा रहा है।गाँव के लोग कलेक्टर से बोल रहे हैं रासायनिक बदबू से प्लीज हमें बचा लीजिए हम मर रहे है। किसी को हमारी वेदना समझ आये तो हमें बचा लीजिए नहीं तो इस गैस चैम्बर में पूरा गांव मर जायेगा।
ये मामला तुक पकड़ चुका है कई वर्षों से इसपर बोला जा रहा है लेकिन फैक्टरी मालिक शायद किसी राजनीतिक पार्टी के दया पर चल रहा है इसी लिए इसपर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है।