जयपुर। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग पर लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री दिल्ली में प्रेसवार्ता कर केन्द्र की एजेन्सियों पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन राजस्थान में जांच एजेन्सियों के दुरूपयोग पर एक शब्द भी नहीं बोलते। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए कि पिछले पांच सालों में सरकार की जांच एजेन्सियों ने उनके कहने पर भाजपा नेताओं के फोन टैप करने का कार्य किया है।
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने आज प्रेसवार्ता में खुद स्वीकार कर लिया कि कांग्रेस मे आपसी गुटबाजी चल रही है, गहलोत ने कहा कि मैने पायलट गुट के लोगों को टिकिट देने में कोई आपत्ति नहीं की। इससे साफ स्पष्ट है कि कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची को लेकर किस कदर खींचतान चल रही है। प्रदेश में किस्सा कुर्सी नाम से जो फिल्म पूरे पांच साल चली वह अभी तक खत्म होने का नाम नहीं ले रही।
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में सभी जांच एजेन्सियों को हाईजैक कर लिया और अपने राजनीतिक फायदे के लिए उनका इस्तेमाल किया है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण संजीवनी मामले में देखने को मिला है। सर्वविदित है कि केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह की ओर से मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करने के बाद एसओजी ने अपनी जांच में उनका नाम शामिल किया है। सरकारी जांच एजेन्सी का इससे बडा दुरुपयोग का मामला पूरे देश में कहीं भी देखने को नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पेपरलीक मामले में जबरदस्त दवाब के बाद भी जांच सीबीआई को नहीं सौंपते। पेपरलीक व युवा बेरोजगारों से की गई धोखाधडी को लेकर खुद मुख्यमंत्री अपराधबोध से ग्रस्त है इसलिए वे आए दिन केन्द्र को कोसकर अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। गहलोत ने जिस प्रकार मणिपुर मामले में बयान दिया है वह शर्मनाक है, उन्हें मालूम होना चाहिए कि विधानसभा के सदन में ही उनके ही मंत्री राजेन्द्र गुढा ने सरकार की पोल खोलते हुए कहा था कि राजस्थान में जिस तरह से महिला सुरक्षा देने में सरकार असफल रही है और महिलाओं पर अत्याचार बढ रहे हैं, हमें मणिपुर की बात उठाने की जगह अपनी गिरेबां में झांकना चाहिए। इसके अलावा गहलोत ने ईडी की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए लेकिन वह बताना भूल गए कि राजस्थान में योजना भवन में मिले गोल्ड और नकदी के मामले में यहां की एसीबी ने एक गिरफ्तारी के बाद मामला बंद कर दिया था उसी केस में ईडी ने जांच कर इसी मामले से जुडी फर्म पर कार्रवाई कर 5.3 किलो सोना पकडा है।
मुख्यमंत्री अपनी भड़ास निकालने के बाद बार बार संजीवनी मामले को उठा रहे है लेकिन वे भूल गए हैं कि राजस्थान में संजीवनी के अलावा आदर्श कॉपरेटिव सोसायटी सहित 14 क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी ऐसी है जिसमें निवेशकों के करोडो रूपए ठगे गए है। इसमें सबसे बडी ठगी आदर्श कॉपरेटिव सोसायटी की है जिसमें मुख्यमंत्री से वरदहस्त प्राप्त लोग मुख्य आरोपी है। संजीवनी मामले को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कई बार इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है लेकिन मुख्यमंत्री को इससे ऐसा क्या मोह है जो वे जांच सीबीआई को सौंपना नहीं चाहते। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आपातकाल की स्थिति पैदा कर दी है। यहां उनके खिलाफ समाचार प्रकाशित किए जाने पर समाचार पत्रों के विज्ञापन रोक दिए गए। सरकार के खिलाफ बोलने वाले पत्रकारों के अधिस्वीकरण निरस्त किए गए है लेकिन मुख्यमंत्री को इन मामलों पर बोलने की फुर्सत ही नहीं है।