जयपुर। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अमित गोयल ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने अपने शासनकाल के दौरान केन्द्र सरकार की योजनाओं को नाम बदलकर लागू किया है और सरकार की दोहरी नीति के कारण आमजन को इन योजनाओं का समय पर लाभ नहीं मिल पाया है। वहीं अब कांग्रेस नेता चुनावों में गारंटी के नाम पर केन्द्र की योजनाओं को जनता के बीच रख रहे है। हाल ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दी गई 7 गारंटियों में शामिल गोधन खरीद योजना भी केन्द्र सरकार की योजना का ही हिसा है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अमित गोयल ने कहा कि राज्य के गौपालकों से गोबर खरीद की घोषणा तो केन्द्र ने 2018—19 के बजट में ही कर दी थी और इसके बाद इसे लागू भी कर दिया गया था। राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने केन्द्र की आयुष्मान योजना को भी ऐसे ही रोका था और करीब एक साल बाद उसे मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के नाम से लागू किया था।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अमित गोयल ने कहा कि वहीं श्रेय लेने की होड़ में राज्य की किसान विरोधी सरकार ने इस योजना को सहीतरीके से लागू नहीं किया। इसके कारण राजस्थान इस योजना के क्रियान्वयन के मामले में 21वें पायदान पर है। राजस्थान में 33 में से महज 3 जिलों में इस क्रियान्वयन की दिशा में कार्य किया गया वो भी सही ढंग से सुचारू नहीं है। अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसानों से गोबर खरीदने की योजना को 7 गारंटियों के नाम पर घोषित कर रहे है।
उन्होंने कहा कि असल में केंद्र की यह योजना संपूर्ण स्वच्छता मिशन का हिस्सा है। केंद्र की योजना के तहत गांव में गोबर को एकत्र करके उससे ऊर्जा के रूप में बदलना था। उस ऊर्जा को खरीद के लिए सीएसआर के तहत ऑयल कंपनियों से समझौता भी हो गया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस योजना पर काम ही नहीं किया।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अमित गोयल ने कहा कि केंद्र की इस योजना के तहत उद्यमियों को जैविक खाद, बायोगैस / बायो-सीएनजी उत्पादन के लिए गांवों के क्लस्टर्स बनाकर इनमें पशुओं का गोबर और ठोस अपशिष्टों के एकत्रीकरण और संग्रहण को बढ़ावा देना था। इससे गांव में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, किसान और पशुपालकों की इनकम बढ़ेगी। देशभर में इस योजना का प्रचार प्रसार और क्रियान्वयन किया जा रहा है, वहीं राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने इस योजना को लागू करना भी उचित नहीं समझा और अब जब चुनाव नजदीक देख अपने राष्ट्रीय नेता से गोधन योजना की गारंटी की घोषणा करवा दी। इससे साफ हो गया है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है।