जयपुर स्थित मणिपाल यूनिवर्सिटी में “टेक्नोलॉजी के बहुआयामी प्रभावों एवं दुष्प्रभावों के बीच संतुलन स्थापित करने के लिये उपचारात्मक रिसर्च” पर एक अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान (डेलिबरेशन) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मेजबानी स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग ने की जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति (प्रेसिडेंट) डॉ. जीके प्रभु ने पारंपरिक तरीके से स्पीकर डॉ डीपी शर्मा को सम्मानित किया।
अतिथियों का स्वागत इंजीनियरिंग संकाय के डीन प्रोफेसर डॉ. अरुण शानबाग एवं निदेशक स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डॉ संदीप चौरसिया ने किया। डॉ चौरसिया ने अपने स्वागत भाषण में टेक्नोलॉजी के बहुपक्षीय आयामों की चर्चा की। इस अवसर पर डॉ. संतोष कुमार विश्वकर्मा, विभागाध्यक्ष, एआईएमएल एवं कार्यक्रम के संयोजक: डॉ. गौतम कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में अपने कीनोट डेलिब्रेशन में बोलते हुए अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं डिजिटल डिप्लोमेट डॉ डीपी शर्मा ने कहा कि हम सिर्फ टेक्नोलॉजी विकास की दिशा में 180 डिग्री भविष्यगामी फ्रंट में देखकर दौड़ते जा रहे हैं मगर हमें टेक्नोलॉजी के 180 डिग्री दूसरे डार्क पक्ष के दुष्प्रभावों को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। मानव सभ्यता टेक्नोलॉजी के लिए नहीं बनी बल्कि टेक्नोलॉजी मानव सभ्यता के लिए बनी है।
डॉ शर्मा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सकारात्मक एवम नकारात्मक पक्षों पर अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों को डाटा पोइंट के साथ विस्तार से समझाया। इस अवसर पर मणिपाल यूनिवर्सिटी सभागार में डॉ शर्मा ने कम्प्यूटर के एआई-एमएल न्यूज़लेटर का भी अनावरण किया। ज्ञात रहे कि डॉ डीपी शर्मा स्वच्छ भारत मिशन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मनोनीत राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर भी हैं।