ट्यूलिप ग्लोबल कंप्लीट फाइनेंस कंपनी के नाम अजमेर के 5000 अधिक से निवेशको से 50 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में अजमेर पुलिस ने शातिर ठग 72 वर्षीय पीसी जैन को हैदराबाद एयरपोर्ट से सोमवारको गिरफ्तार किया । आरोपी पांच साल से फरारी काट रहा था। पीसी जैन विदेश भागने की फिराक में था। आरोपी के खिलाफ अजमेर के गंज पुलिस थाने में फॉयसागर रोड निवासी सावत सिंह ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था।
अजमेर की गंज पुलिस मौके पर पहुंच गई और हैदराबाद एयरपोर्ट पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर रखा था।
दरगाह सीओ गौरीशंकर ने बताया कि जयपुर के रहने वाले आरोपी प्रकाशचंद जैन उर्फ पीसी जैन को पुलिस ने सोमवार को हैदराबाद एयरपोर्ट से उस वक्त गिरफ्तार किया, जब वो विदेश भागने की फिराक में था। आरोपी को मंगलवार को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया है। आरोपी पीसी जैन और पत्नी शशि जैन के खिलाफ अजमेर जिले सहित देशभर में 100 से ज्यादा धोखाधड़ी के मामले दर्ज है। आरोपी ने अकेले अजमेर में ही 5 हजार से ज्यादा निवेशकों और एजेंटों के माध्यम से 50 करोड रुपए ठगने का मामला सामने आया है। इसके अलावा देशभर में लाखों लोगों से ठगी की है। फिलहाल ठगी के नेटवर्क में शामिल अन्य आरोपियों के बारे में आरोपी से पूछताछ जारी है। अभी उसके 6 बैंक अकाउंट के बारे में पता चला है। इन बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स ली जा रही है। वहीं आरोपी के जयपुर स्थित कार्यालय की भी जांच की जाएगी।
पुलिस के मुताबिक आरोपी पीसी चंद जैन ने अपने रिश्तेदार रवि जैन के साथ मिलकर साल 2004 में एक कंपनी बनाई थी। फिर कमीशन का लालच देकर लाखों लोगों को कंपनी से जोड़ लिया था।ठगी के लिए आरोपियों ने जगह-जगह कार्यालय खोल दिए, ताकि किसी लोगों पर विश्वास बना रहे। लेकिन बाद में दोनों आरोपियों ने कंपनी बंद कर दी और ट्यूलिप ग्लोबल कंप्लीट के नाम से नई कंपनी बनाई। लेकिन कुछ महीने लोगों से ठगी के बाद इस कंपनी को भी बंद कर दिया। तब तक दोनों आरोपी हजारों लोगों से करोड़ों रुपए ऐंठ चुके थे।इसके बाद आरोपी पीसी जैन ने गुजरात चला गया और अहमदाबाद में ट्यूलिप ग्लोबल मार्ट के नाम से कंपनी शुरू की।
आरोपी ने अपनी पत्नी शशि जैन और रिश्तेदार रवि जैन कंपनी का डायरेक्टर बनाया। फिर धोखाधड़ी के लिए कई कार्यालय खोले। चौंकाने वाली बात ये रही कि आरोपियों ने शहरों की जगह गांवों पर ज्यादा नजर रखी, क्योंकि शहर के लोग कम ही झांसे में फंसने वाले थे। ऐसे में गांव के भोले-भाले लोगों को फंसाना शुरू किया। शुरुआत में 3200 रुपए का निवेश कराकर ब्रांडेड कंपनी का सूट का कपड़ा दिया जाता था। साथ ही निवेशक को 5 साल के इंश्योरेंस की गारंटी भी देते थे।