देश में मोदी की लहर है और बीजेपी अभियान चलाए हुए हैं जिसका नाम कांग्रेस मुक्त भारत कह रहे हैं जिस तरह से विधानसभा और अब लोकसभा चुनाव के नजदीक कांग्रेस के छोटे से लेकर बड़े नेता बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं इस तरह से कांग्रेस की टीम धीरे-धीरे कमज़ोर होती जा रही है और इस कम होती टीम के कारण कहीं कांग्रेस कमजोर तो नहीं हो जाएगी?
बीजेपी ने नारा दिया हुआ है जिसमें वह कहते हैं कि हम कांग्रेस मुक्त भारत कर देंगे। फिलहाल भाजपा भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर जोर शोर से काम कर रही है।
सवाल यह उठता है कि आखिर कार बरसों से जो कार्यकर्ता या पदाधिकारी कांग्रेस के हाथ के नीचे अपनी राजनीति करते आए हैं अब ऐसा क्या हो रहा है। जिससे वह अपनी पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी का आसरा ले रहे हैं कहीं ना कहीं कांग्रेस में इन नेताओं की अपेक्षा भी इसका एक बड़ा कारण हो सकता है। लंबे समय तक हाथ में कांग्रेस का झंडा लेकर जो कार्यकर्ता पार्टी के नारे लगाने में थकता नहीं था अब वही कार्यकर्ता कमल की छांव का आसरा लेने पर क्यों मजबूर हुआ।
पिछले दिनों कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त सामने आई है जिसमें आजादी के बाद से पीढ़ी दर पीढ़ी कट्टर कांग्रेसी परिवार के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले नेता भी अब अपना नया घर ढूंढने में लग गए हैं। जिनकी नसों में कांग्रेस का खून बहता था अब वही खून पानी होता नजर आ रहा है इसके पीछे कांग्रेस कितनी जिम्मेदार है इसका जवाब या तो वह कार्यकर्ता दे पाएंगे जो वंशानुगत कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ था या फिर खुद कांग्रेस।
वर्षों तक संगठन की सेवा करने के बाद भी जब कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के कद और प्रतिष्ठा को संतुष्ट नहीं कहीं नहीं कर पाई तो मजबूरन इन्होंने अपने हाथ में कमल का निशान उठा लिया।
कांग्रेस में आलाकमान ही सर्वेसर्वा माना जाता है और इस आलाकमान के सामने ना तो कोई कुछ बोल पाता है और ना ही किसी की कुछ चल पाती है जो दिल्ली से फाइनल हुआ वहीं अंतिम निर्णय माना जाता है और सच यही है कि सब कुछ दिल्ली से ही फाइनल होता है अब ऐसे में यह कार्यकर्ता जाए तो जाए कहां और किसको अपनी पीड़ा सुनाएं इसी पशोपेक्ष में इनका हाथ छूट गया और कमल मिल गया।
कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं में वे नेता ज्यादा थे।
कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं में वे नेता ज्यादा थे जिन्होंने कांग्रेस से विधानसभा या लोकसभा की टिकट मांगी थी इसके बाद वे नेता बीजेपी में शामिल हुए,जिन्हें अपना भविष्य कांग्रेस में ना दिखकर अब बीजेपी में दिखने लगा है हर नेता अपनी पार्टी में कद और प्रतिष्ठा के साथ राजनीति करना चाहता है और अपनी मेहनत के साथ-साथ पूरा परितोषित भी प्राप्त करना चाहता है।
बात करें कांग्रेस के उन कट्टर वंशानुगत परिवार की तो जिनकी पीडिया ने कांग्रेस की सेवा करते-करते अपनी चार-पांच पीढ़ी लगा दी। जिनमें नागौर का मिर्धा परिवार भी मुख्य रूप से आता है जयपुर से कांग्रेस की महापौर रही ज्योति खंडेलवाल सुरेश मिश्रा सुशील शर्मा भीलवाड़ा के गौरवबल्लभ और हाल ही में सीताराम अग्रवाल सहित कई ऐसे नाम है जो दिन-रात बीजेपी को कोसने में कोई कमी कसर नहीं छोड़ते थे लेकिन वक्त का फेर देखो अब ऐसे कई नेता बीजेपी में ही अपना उजला भविष्य देखने को मजबूर हो गए हैं।
अब अगर इसी तरह कांग्रेस से धीरे-धीरे नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं तो कांग्रेस के पास नेताओं की कमी हो जाएगी जिन चेहरों पर कांग्रेस प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरती थी उन चेहरों के साथ उतर नहीं पाएगी क्योंकि उनमें से कुछ चेहरे बीजेपी में जा चुके हैं और कुछ मौके की नजाकत भाग जाने की तैयारी में है तो क्या इस तरह का हाल कांग्रेस में होने से बीजेपी के नारे को बल मिल जाएगा और क्या धीरे-धीरे कांग्रेस के नेता अब बीजेपी की जुबान बोलने से परहेज नहीं करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार खुले मंचों से कांग्रेस पर हमलावर तेवर करते हुए कहा है कि जल्दी ही भारत में कांग्रेस खत्म हो जाएगी और अब देश की जनता कांग्रेस मुख्य भारत देखना चाहती है तो क्या मोदी की परिकल्पना साकार होती नजर आ रही है अगर ऐसा है तो यह कांग्रेस के लिए बेहद चिंता का विषय है उसे अपने परिवार को बचाने में करनी पड़ सकती है और अपने आने वाले अस्तित्व की लड़ाई के लिए लंबे और कड़े निर्णय लेने पड़ेंगे।