पश्चिम बंगाल देश का ऐसा प्रदेश है, जहां लोकसभा की 42 सीटें है। यही वजह है कि इन दिनों बंगाल का माहौल बहुत गर्म बना हुआ है। 17 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणा पत्र में वादा किया गया कि बंगाल में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) और सीएए (संशोधित नागरिकता कानून) को लागू नहीं किया जाएगा। मालूम हो कि सीएए देश भर में लागू हो चुका है और यूसीसी को लागू करने का वादा भाजपा की ओर से किया गया है। एक तरफ टीएमसी ने अपना यह घोषणा पत्र जारी किया है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मौका मिला तो विरोधियों की जीभ भी काट ली जाएगी। इतना ही नहीं 17 अप्रैल को बंगाल के मुर्शिदाबाद में रामनवमी की शोभायात्रा पर पत्थरबाजी हुई। इसी प्रकार झारखंड में सत्तारूढ़ जेएमएम के नेता नजरुल इस्लाम ने सार्वजनिक मंच पर कहा कि जो लोग 400 पार की बात करते हैं, उन्हें जमीन में 400 फीट नीचे गाड़ दिया जाएगा। इससे पहले तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके के नेताओं ने कहा कि सनातन धर्म को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। स्वाभाविक है कि जब इस सोच के लोग केंद्र की सत्ता में आएंगे तो यही विचारधारा देश भर में लागू होगी। कांग्रेस भी इस विचारधारा की समर्थक हे। क्योंकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जो इंडिया गठबंधन बनाया है, उसमें डीएमके और टीएमसी भी शामिल है। अब जब देश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो रहा है, तब देशवासियों को अपना वोट सोच समझ कर देना चाहिए। सनातन धर्म को मानने वाले मतदाताओं को यह देखना चाहिए कि क्या सनातन धर्म को समाप्त कर दिया जाए? इसी प्रकार जब देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत है, तब कहा जा रहा है कि इस कानून को लागू नहीं होने दिया जाएगा। एक और संविधान की दुहाई दी जाती है तो दूसरी ओर संविधान के अनुरूप बनने वाले कानून को लागू करने से इंकार किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में उन राज्यों में शामिल है, जहां केंद्र सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाओं पर रोक है। इसी प्रकार सीबीआई के सीधे हस्तक्षेप पर भी रोक लगा रखी है।
सवाल उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा नहीं है? जब केंद्र में भाजपा के गठबंधन वाली सरकार है, तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इतनी दादागिरी है और जब केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार होगी तो हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। इंडिया गठबंधन की सरकार बनते ही डीएमके के नेता और कार्यकर्ता सनातन धर्म को समाप्त करने वाले काम शुरू कर देंगे। हो सकता है कि मंदिरों को तोड़ दिया जाए या फिर उन्हें बंद करवा दिया जाए। सनातन धर्म के त्योहार पर निकलने वाले जुलूस तो अपने आप ही बंद हो जाएंगे। माता के जागरण भी नहीं हो सकेंगे। 17 अप्रैल को ही मुर्शिदाबाद में रामनवमी की शोभायात्रा पर पत्थरबाजी हुई है। मतदाताओं को वोट डालने से पहले यह भी सोचना चाहिए कि उन्हें बनारस में काशी विश्वनाथ और मथुरा में बांके बिहारी के मंदिरों का कितना विकास कराया है।
मध्यप्रदेश में डबल इंजन की ताकत से काम हुआ तो उज्जैन के महाकाल मंदिर का विकास भी हो गया। हमारी धार्मिक आस्थाओं को महंगाई और बेरोजगारी से जोड ऩे वाले नेताओं को यह समझना चाहिए कि आज दुनिया भर में भारतीय युवाओं की मांग है। भारत दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने जा रहा है। लोक कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत रसोई गैस कनेक्शन से लेकर पक्का मकान तक निशुल्क दिया जा रहा है। इतना ही नहीं 81 करोड़ लोगों को प्रतिमाह पांच किलो मुफ्त राशन मिल रहा है। यह राशन उन लोगों को भी मिल रहा है जो पश्चिम बंगाल में रामनवमी की शोभायात्रा पर पत्थर फेंक रहे हैं। एक समय था जब जम्मू कश्मीर में भी सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी की जाती थी, लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर में आमतौर पर शांति है। मौका मिलने पर जीभ काटने और सनातन धर्म को समाप्त करने की बात कहने वाले राजनेता माने या नहीं, लेकिन पिछले दस वर्षों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति मजबूत हुई है। अब अमेरिका, रूस और चीन के साथ साथ भारत को भी एक शक्तिशाली देश माना जाने लगा है।