मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि पार्वती- कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (संशोधित ईआरसीपी) से राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के विकास के लिए स्वर्णिंम युग का उदय होगा। राजस्थान के 21 जिलों के साथ ही मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों को भी पेयजल और सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। यह परियोजना किसानों की समृद्धि एवं प्रदेश की उन्नति की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
मुख्यमंत्री शर्मा रविवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में पार्वती-कालीसिंध-चम्बल अन्तर्राज्यीय नदी लिंक परियोजना के क्रियान्वयन के लिए संयुक्त पहल आयोजन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में हमारी सरकार ने डेढ़ महीने के भीतर ही ईआरसीपी को संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना में शामिल करते हुए केन्द्र सरकार एवं मध्य प्रदेश के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस परियोजना को धरातल पर लागू करने की दिशा में दोनों प्रदेशों की सरकार प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना जल्द ही मूर्त रूप लेगी, जिससे बारिश के पानी का सदुपयोग हो सकेगा और पेयजल व सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध होगा।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि राजस्थान और मध्यप्रदेश का भौगोलिक दृष्टि के साथ ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी गहरा नाता है। पर्यटन इन राज्यों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साझा रूप से पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाने की अपार संभावनाएं हैं। इससे न केवल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
धार्मिक पर्यटन को मिले बढ़ावा, पर्यटन सर्किट हो विकसित
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार की कृष्ण पथ गमन योजना में राजस्थान के स्थलों को भी सम्मिलित किया जा सकता है। साथ ही, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान के श्री खाटू श्याम जी और उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मन्दिर सहित देवदर्शन के स्थानों को सम्मिलित करते हुए पर्यटन सर्किट विकसित किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों प्रदेशों के सीमावर्ती वन्यजीव क्षेत्रों के संरक्षण की दिशा में साझा प्रयास किए जाएंगे।
जल समस्या के हल से लेकर पर्यटन विकास के लिए होंगे साझा प्रयास
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राजस्थान और मध्यप्रदेश की सरकार संयुक्त रूप से पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए तत्परता के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के बीच जल समस्या के हल से पर्यटन के क्षेत्र में भी साझा विकास की बड़ी संभावनाएं हैं। विशेष रूप से चंबल, श्योपुर और रणथंभोर में पर्यटन की संभावना अधिक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान ने रेगिस्तान में भी पर्यटन को विकसित कर दिया है। साथ ही, धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण गमन के पाथेय निर्माण के लिए हम प्रयासरत हैं।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुल्सीराम सिलावट, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला, पिछड़ा वर्ग राज्यमंत्री श्रीमती कृष्णा गौड़, राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार तथा मध्यप्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन विभाग सहित दोनों राज्यों के उच्चाधिकारी एवं बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित थे।