जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यों का राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉपरेशन को हस्तांतरित किए जाने के विरोध में मंगलवार को जलदाय कर्मियों ने हाथों में काली पट्टी बांध जिला कलक्ट्रेट एवं पी एच ई डी के अधीक्षण अभियंता के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया।
प्रांतीय नल मजदूर यूनियन इंटक तथा संयुक्त संघर्ष समिति जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग टोंक के संयुक्त बैनर तले मंगलवार को जलदाय विभाग कर्मियों ने बजट 2024-25की घोषणा के अनुसार पी एच ई डी के कार्यों को आर डब्ल्यू एस एस सी को हस्तांतरित किए जाने का विरोध किया है।जिनका कहना है कि इन कार्यों को हस्तांतरित किए जाने के बाद लोगों को उचित दरों से न तो शुद्ध पेयजल मिल पाएगा ने ही जलदाय कर्मचारियों को मासिक वेतन,पेंशन भुगतान भी समय पर नहीं मिल सकेगा।क्योंकि राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉपरेशन शुरू से ही कर्जे के बोझ तले दबी हुई है।साथ ही कर्जा के भुगतान के लिए नागरिकों से जल राजस्व वसूली के लिए जल शुल्क बढ़ाया जाएगा जिससे उपभोक्ताओं को आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा।
यूनियन टोंक के अध्यक्ष बालूराम सैनी तथा महामंत्री राजेश चौहान का कहना है कि इतना ही नहीं पी एच ई डी कार्यों के लिए इसके बाद हैंडपंप,नलकूप की स्वीकृतियां तथा जल योजनाओं से सम्बन्धित सभी कार्यों के लिए ऋण लिया जाएगा और ऋण के अभाव में कार्य की स्वीकृतियां जारी नहीं हो पाएगी।जिससे राज्य की पेयजल व्यवस्था प्रभावित होगी।
जलदाय कर्मचारियों ने बताया कि जलदाय विभाग का निजीकरण करके इसके कार्यों का आर डब्ल्यू एस एस सी को हस्तांतरित किया जाना न केवल जलदाय कर्मियों बल्कि उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ है।क्योंकि कर्मचारियों को समय पर वेतन सहित पेंशन नहीं मिल पाने से परिवार की आजीविका का संकट खड़ा हो जाएगा साथ ही राज्य की जनता को मिलने वाला शुद्ध पेयजल भी नहीं मिल सकेगा साथ ही पेयजल भी महंगा मिलेगा।इससे राज्य सरकार की छवि भी धूमिल होगी।
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांग का एक ज्ञापन जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग टोंक के अधीक्षण अभियंता राजेश गोयल को सौंपते हुए राज्य सरकार से मांग की है कि वह इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करके इसको निरस्त किया जाएं।ज्ञापन देने वालों में रमेश माली,गोविंद शर्मा,रामलाल सैनी,चुन्नीलाल महावर,शफ़ी मोहम्मद सहित जलदाय विभाग टोंक के अधिशाषी अभियंता,सहायक व कनिष्ठ अभियंता भी शामिल थे।