प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह नेअपनी रणनीति के तहत पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रभावशाली राजनीतिक भूमिका को कुछ हद तक कमजोर करने में सफलता हासिल की है। भाजपा में विधानसभा के चुनाव से 2 महीने पहले यह शोर शराबा जोरो पर था कि वसुंधरा राजे के चेहरे के बिना पार्टी का जितना राजस्थान में संभव नहीं है। वसुंधरा राजे ने भी अपनी अहमियत को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों भी की लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में अपने ही रणनीति के तहत काम किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वसुंधरा राजे को अपनी सभाओं में अपने पास बिठाकर यह तो एहसास कराया कि वे अब अपने अनुरूप भी निर्णय करेंगे। उन्होंने किसी भी जनसभा में उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया और आम लोगों के बीच यह संदेश देने का काम किया कि अब वसुंधरा राजे के पुराने दिन नहीं है उन्हें पार्टी की रीतिनीति के अनुरूप कार्य करना ही पड़ेगा।
भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची 41 की निकालकर कुछ प्रभावशाली लोगों के टिकट काटे और संदेश देकर वसुंधरा राजे और कई नेताओं को एहसास कराया कराया गया किदिल्ली जो निर्णय करेगा उसे सबको मानना पड़ेगा। पहली सूची में कई वसुंधरा समर्थक नेताओं के टिकट काटे गए और कहा गया कि जो पार्टी करेगी उसे स्वीकार करना पड़ेगा। दूसरी सूची के निकलने से पहले वसुंधरा राजे ने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की बात अधिक की और वह विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में लड़ने की मांग खत्म हो गई । यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने प्रदेश में लगातार दौरे करके यहां के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने का काम किया कि अब वसुंधरा राजे के दिन नहीं है और केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति के अनुसार हीकाम किया जाएगा।अब भाजपा की गलियां में एक ही चर्चा है कि मोदी और वसुंधरा के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा बल्कि कमल के निशान पर चुनाव लड़कर पार्टी को सत्ता में लाना है। अब भाजपा में इस बात की चर्चा जोरों पर है की तीसरी और चौथी सूची में कुछ और नेताओं के टिकट काटे जा सकते हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भेरू सिंह शेखावत के दामाद के विरोध को शांत करने के लिए विद्याधर नगर की जगह उन्हें चित्तौड़ में चुनाव मैदान में उतार दिया है। हालांकि इसका विरोध हो रहा है और वहां के तीन बार से जीतने वाले नेता चंद्रभान सिंह और उनके समर्थक खुला विरोध कर रहे हैं। वे प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को भी इसका दोषी मान रहे हैं। सांगानेर में डॉ. अशोक लाहोटी का टिकट कटने से समर्थक विरोध कर रहे हैं। अलवर जिले की थानागाजी विधानसभा क्षेत्र में हेमसिंह बढ़ाना को टिकट देने,राजसमंद में दिप्ती माहेश्वरी को फिर से टिकट देने का विरोध हो रहा है।
उदयपुर में ताराचंद जैन और बूंदी में अशोक डोगरा का ,बगरू में कैलाश वर्मा का और बीकानेर में सिद्धि कुमारी को फिर से टिकट देने का विरोध हो रहा है । भाजपा ने स्थिति को कंट्रोल करने के लिए केंद्रीय कृषि कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी जरूर बनाई है लेकिन प्रभावी काम नहीं कर पा रही है।
फिलहाल राजस्थान में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष को को कमान संभालने के लिए बार-बार प्रदेश के दौरे पर आना पड़ रहा है । इन सबके बावजूद अभी भी पार्टी की स्थितिकई जगह ठीक नहीं हैउसे कंट्रोल में करने के लिए प्रभावशाली भूमिका निभाने की जरूरत है नहीं तोपार्टी को विपरीत परिणामका सामना करना पड़ेगा।