पीपुल फॉर एनिमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने चंबल में सैकड़ों नालों के गिर रहे गंदे पानी को रोकने की नेशनल ग्रीन टि्रब्यूनल (एनजीटी) से रोकने की मांग को लेकर लगाए जनहित याचिका को गंभीर माना है। इस याचिका को लेकर अब एनजीटी ने कड़ी कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
एनजीटी भोपाल के न्यायाधीश शिवकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेंबर ए सेंथिल की बेंच ने इस मामले में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव, जिला कलक्टर कोटा, अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग कोटा, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव, नगर विकास न्यास कोटा के सचिव और नगर निगम कोटा के आयुक्त को नोटिस जारी किया। इनसे 19 फरवरी को निजी रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए हैं।
जाजू ने अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के जरिए एनजीटी में दायर जनहित याचिका में बताया कि कोटा शहर का 312 एमएलडी गंदा सीवेज पानी के साथ ही औद्योगिक वेस्ट प्रतिदिन चंबल नदी में जा रहा है। इससे चंबल के पानी की गुणवत्ता अत्यधिक खराब हो रही है जो क्रोकोडाइल और डॉल्फिन के लिए खतरनाक है। चंबल से भीलवाड़ा सहित कई जिलों में पेयजल आपूर्ति हो रही है। इससे लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं।
जाजू ने बताया कि पूर्व में उनकी याचिका पर ईटीपी ट्रीटमेंट प्लांट लगाया था। इसकी क्षमता मात्र 50 एमएलडी है। उल्लेखनीय है कि चंबल देश की प्रमुख नदी होकर एक मात्र घोषित घड़ियाल सेंचुरी है। इस पर स्थानीय प्रशासन के ध्यान नहीं देने से इसकी अस्तित्व को खतरा पैदा होता जा रहा है। इसे रोके जाने की जरूरत है।