प्रदेश की बिगड़ती वित्तीय स्थिति को काबू में करने के लिए टेंडर निकालने से लेकर नए काम शुरू करने पर रोक लगा दी है। जिन कामों के टेंडर प्रगति पर हैं उसे पर भी रोक दी गई है। पहले से मंजूर कामों को आगे बढ़ाने पर भी रोक रहेगी।
वित्त विभाग ने नए टेंडरों, वर्क ऑर्डर और नए कामों को शुरू करने पर रोक से जुड़े आदेश जारी किए हैं।वित्त विभाग की नई गाइडलाइन के मुताबिक जिन कामों के टेंडर नहीं निकाले हैं। उन्हें अगले आदेशों तक नहीं निकालने के आदेश दिए हैं। जिन कामों के टेंडर निकालने के बाद वर्क ऑर्डर जारी नहीं हुए हैं, उन पर आगे कोई एक्शन नहीं होगा। वर्क ऑर्डर पर भी रोक रहेगी।
टेंडर और वर्क ऑर्डर के बाद जो काम शुरू नहीं हुए हैं, उन पर रोक लगा दी है। वित्त विभाग के रोक हटाने के बाद ही नए काम शुरू हो सकेंगे। सरकारी विभाग कोई भी सामग्री या प्राइवेट सेवाएं लेते हैं, उनके वर्क ऑर्डर भी निलंबित रहेंगे। सरकारी विभागों में आउटसोर्स काम के नए ऑर्डर भी नहीं कर सकेंगे।
पहले से जारी प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी की हालत में भी काम होल्ड पर रहेंगे। इस तरह की मंजूरी के लिए अब मुख्यमंत्री के पास फाइल भेजनी होगी। सभी विभागों को प्रशासनिक वित्तीय मंजूरियों के लिए पहले पूरा मामला मुख्यमंत्री के ध्यान में लाना होगा। इसके बाद ही नए काम और टेंडर पर फैसला होगा।
वित्त विभाग के नए आदेशों के बाद अब प्रदेश में सभी विभागों में नए काम रुक जाएंगे। सरकार का यह आदेश चर्चा का मुद्दा बन गया है। आम तौर पर पुरानी सरकार के आखिरी छह महीनों की समीक्षा के लिए सरकार कमेटी बनाती है, उसके बाद काम रोके जाते हैं। इस बार पुरानी सरकार के आखिरी छह महीने की समीक्षा के लिए कमेटी बनने से पहले ही टेंडरों पर रोक लगा दी गई है।
राजस्थान सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थान सरकार पर करीब 5.30 लाख करोड़ का कर्ज है। कर्ज के बढ़ते बोझ के बीच चुनावों से छह महीने पहले शुरू की गई लोकलुभावन योजनाओं पर भी भारी पैसा खर्च हुआ है। अब नई सरकार के सामने वित्तीय समस्या पैदा हो गई है । इसको काबू में करने के लिए ही इस प्रकार की रोक लगाई गई है।