राजस्थान फोन टैपिंग मामले में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे एडवोकेट संदीप झा ने राजस्थान में सरकार बदलने की स्थिति में कहा कि केस में सरकार से निर्देश लेना होगा, लिहाजा 1-2 सप्ताह का समय दिया जाए। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शिकायतकर्ता की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि अब इस केस में कुछ बचा नहीं है, ये स्पष्ट है क्योंकि लोकेश शर्मा ने पिछले दिनों जो इंटरव्यू दिए हैं और जो मीडिया रिपोर्ट्स आई हैं उनमें ये माना है कि उनकी जानकारी में ये फोन टैपिंग की गई हैं।
जस्टिस विकास महाजन ने कहा कि इंटरव्यू और मीडिया रिपोर्ट्स पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता। इस पर शिकायतकर्ता के अधिवक्ता द्वारा लगातार मीडिया रिपोर्ट्स और न्यूज आर्टिकल्स का हवाला देने पर लोकेश शर्मा के अधिवक्ता ने कहा कि हमें नहीं पता कि शिकायतकर्ता के अधिवक्ता जिन मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला दे रहे हैं, उनमें क्या लिखा गया है। इसलिए आप एफिडेविट फाइल कर दें, हम उस पर अपना जवाब दाखिल कर देंगे।
राज्य सरकार की तरफ से मांगे गए समय और सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने के बाद ही आगे की बहस किए जाने की बात पर अब 19 दिसंबर को मामले में अगली सुनवाई होगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा और उन्हें कोर्ट से मिली राहत बरकरार रहेगी।
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर के बाद से विभिन्न कारणों के चलते मामले की सुनवाई लगातार टलती आ रही है। वहीं 11 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान लोकेश शर्मा के वकील सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने लोकेश शर्मा का पक्ष रखते हुए उन पर लगे फोन टैपिंग और दिल्ली पुलिस की ओर से जांच में सहयोग नहीं करने के आरोपों को बेबुनियाद बताया था। 11 अक्टूबर को मामले में लोकेश शर्मा की तरफ से बहस अधूरी रह गई थी, जिसे अगली तारीख पर पूरी किया जाना था। अब मामले में अगली सुनवाई 19 दिसम्बर को होनी है और तब तक लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर लगी रोक बरकरार रहेगी। बता दें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मार्च 2021 में दिल्ली क्राइम ब्रांच में लोकेश शर्मा के खिलाफ फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया था। वहीं इस मामले में लोकेश शर्मा की ओर से केंद्रीय मंत्री की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर को रद्द किए जाने की मांग की गई है।