Sunday, October 20, 2024

बंगाल में बवाल- राज्यपाल ने पुलिस को राजभवन खाली करने का दिया आदेश

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सोमवार सुबह राजभवन में तैनात कोलकाता पुलिस के जवानों को तुरंत परिसर खाली करने का आदेश दे दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार गवर्नर बोस राजभवन के नॉर्थ गेट के पास पुलिस चौकी को जनमंच बनाने की योजना बना रहे हैं।

हालांकि, पुलिस को हटाने का आदेश उस घटना से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें राजभवन में तैनात पुलिस कर्मियों ने चुनाव हिंसा पीड़ितों को गवर्नर से मिलने से रोक दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार राज्यपाल का कहना है कि पुलिस उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रही है और वे जवानों के सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।

बता दें कि पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता पुलिस को पत्र लिखकर 19 जून को हिंसा पीड़ितों के साथ राजभवन के पास धरना देने की इजाजत मांगी थी। उन्होंने लिखा- अगर एक क्षेत्रीय पार्टी को राजनीतिक कार्यक्रम करने की इजाजत मिल सकती है तो भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी को भी यह इजाजत मिलनी चाहिए।

मगर 13 जून को पुलिस ने भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी और चुनावों के बाद जारी हिंसा के पीड़ितों को राज भवन जाने से रोक लिया। पुलिस ने कारण दिया था कि राज भवन के आसपास सेक्शन 144 लागू है, इसलिए वहां किसी तरह का प्रदर्शन या धरना नहीं हो सकता।

सुवेंदु अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति ने पुलिस के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की। शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि अगर राजभवन की तरफ से इजाजत मिलती है तो सुवेंदु अधिकारी और हिंसा पीड़ित लोग गवर्नर से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

जस्टिस अमृता सिन्हा की सिंगल बेंच ने पश्चिम बंगाल के एडवोकेट जनरल से यह भी पूछा था कि क्या गवर्नर को हाउस अरेस्ट में रखा गया है। अगर ऐसा नहीं है तो इन लोगों को राजभवन जाकर गवर्नर से मिलने क्यों नहीं दिया जा रहा है।

गवर्नर बोस ने 14 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘मैंने इन सभी लोगों को राज भवन आने और मुझसे मिलने की लिखित इजाजत दी थी। इसके बावजूद उन्हें राज भवन आने से रोका गया। मैं यह जानकर हैरान हूं कि कुछ कारण बताकर इन सभी लोगों को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करने से रोका गया।

इससे पहले पश्चिम बंगाल गवर्नर आनंद बोस पर सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप लगा है। उस केस में कोलकाता पुलिस ने राजभवन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है। 18 मई को हुई कार्रवाई में पुलिस ने एसएस राजपूत, कुसुम छेत्री और संत लाल का नाम शामिल किया है।

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