Thursday, October 17, 2024

बजट पूर्व चर्चा में अखिल सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चौधरी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के सामने सुझाव

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मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित बजट पूर्व चर्चा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जगत के स्टेकहोल्डर्स को आमंत्रित किया गया।जिसमें अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी शामिल हुए । जिसमें आगामी बजट वित्तिय वर्ष 2024- 2025 की तैयारी में  चर्चा के दौरान उनके द्वारा सेवारत चिकित्सकों के विभिन्न मुद्दे और राज्य में चिकित्सा सेवाओं के सुदृढ़ीकरण हेतु सुझाव/विचार रखे गए।

संघ के अध्यक्ष डॉ. चौधरी ने सर्वप्रथम इस बजट पूर्व चर्चा में आमंत्रित करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री का  आभार जताया उन्होंने कहा कि  सेवारत चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करता हूं और चिकित्सा प्रशासन का हिस्सा भी हूं तो आपके समक्ष उन जमीनी बिंदुओं को प्रस्तुत करना चाहूंगा जो राज्य में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने और राजस्थान राज्य का स्वास्थ्य प्रबंधन सुधारने हेतु आवश्यक हैं:

1. राजकीय चिकित्सा संस्थानों के चिकित्सकों और कर्मचारियों के लिए आवास निर्माण एवं साथ ही जो आवास जर्जर अवस्था में हैं उनकी मरम्मत व रख रखाव करवाया जाए। इससे चिकित्सक एवम् चिकित्साकर्मी मुख्यालय पर निवास कर बेहतर सेवाएं दे सकेंगे। रेज़िडेंट डॉक्टर्स के लिये सुविधा पूर्ण नये हॉस्टल का निर्माण किया जाये।

2. मुख्यमंत्री आयुष्मान अरोग्य योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं के कारण राज्य के सरकारी चिकित्सा संस्थानों में OPD/IPD बढ़ा है किन्तु उस अनुपात में मानव संसाधनों की नियुक्ति नहीं हुई है। मान्यवर, हमारे पास चिकित्सालयों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने हेतु मानव संसाधन की घोर कमी है। साफ सफाई के लिए सफाई कर्मी, एंबुलेंस के लिए ड्राइवर, नर्सिंग कर्मी, लैब कर्मी, चिकित्सक इत्यादि प्रत्येक संवर्ग के कर्मचारियों की भारी कमी है, इसके कारण बहुत बार अपरिहार्य स्थितियां उत्पन्न हो जाती है। साथ ही अतिरिक्त कार्यभार के चलते चिकित्सा कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है। आपसे निवेदन है कि चिकित्सालयों में उनके मरीजों के भार के अनुपात में सभी वर्गों के कर्मचारी बढ़ाएं जाएं।

3. चिकित्सालयों को स्वावलंबी बनाने के लिए OPD/IPD रजिस्ट्रेशन का न्यूनतम शुल्क पुनः प्रारंभ किया जाए अथवा प्रत्येक चिकित्सा संस्थान को उसमें आने वाले मरीज़ों की संख्या अनुसार राशि सरकारी अनुदान के रूप में स्वीकृत की जाये ताकि चिकित्सालय स्वयं अपनी छोटी छोटी समस्याएँ अपने स्तर पर सुलझा सके।

4. प्रत्येक सीएचसी पर उचित रोशनी और रेफ्रिजरेटर की व्यवस्था युक्त आधुनिक मोर्चरी का निर्माण करवाया जाए ताकि पोस्टमॉर्टम होने तक मृतक की देह को सम्मानपूर्वक रखा जा सके।

5. प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कम से कम दो चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति हो जिससे कि चिकित्सा सेवाओं की निरंतरता बनी रहे।

6. सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं क्रियाकलापों में डिजिटल रिपोर्टिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है और यह उचित भी है क्योंकि इससे सूचनाओं का संप्रेषण जल्दी और पेपरलेस हो रहा है। इस कार्य हेतु कम्प्यूटर दक्ष स्टाफ की आवश्यकता है, अतः अधिक संख्या में कंप्यूटर ऑपरेटर / IA की नियुक्ति स्थाई अथवा संविदा के आधार पर की जाए, प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर दो कंप्यूटर ऑपरेटर नियुक्त हों। इसी प्रकार अन्य चिकित्सा संस्थानों में उनके कार्य भार के अनुरूप ऑपरेटर नियुक्त किए जाएं।

7. सीएमएचओ सहित सभी जिला अधिकारी एवं बीसीएमओ के लिए नए राजकीय वाहन उपलब्ध करवाएं जाएं जिससे उनका अपने कार्य क्षेत्र में आपदा नियंत्रण और प्रशासनिक कार्य हेतु भ्रमण करना सुगम हो सके। इससे स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गुणवत्ता व पहुंच में वृद्धि होगी। अरिस्दा संघ के साथ राज्य सरकार के 12.11.17 एवं 27.12.17 के समझौते में फेज़ मेनर में वाहन देने का लिखित रूप में उल्लेखित है, पर 2018 में केवल 11-12 बोलेरो वाहन ज़िलों में सीएमएचओ को देने के बाद फिर विराम लग गया। सभी अधिकारियों के पास राजकीय वाहन होगा तभी पर्यवेक्षण का कार्य मुस्तैदी से होगा और राज्य का स्वास्थ्य प्रबंधन सुधरेगा।

8. सेवारत चिकित्सकों के लिए मेडिकल कैडर का शीघ्र गठन किया जाए, जिसमें उनकी आरपीएससी के चयन वर्ष अनुसार वरिष्ठता हो और उसी अनुसार वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति हो। उल्लेखनीय है कि अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ द्वारा सरकार से हुए समझौते के अनुरूप कार्यवाही करते हुए कैडर का प्रस्ताव भी सरकार को सौंपा गया है, किंतु उसे लागू नहीं किया जा रहा है, इससे समस्त सेवारत चिकित्सक व्यथित हैं 

(9 )राज्य के चिकित्सा विभाग में स्थानांतरण नीति बनाये जाने की प्रक्रिया चल रही है, जिसका हम स्वागत करते है किंतु पहले चिकित्सकों का कैडर बने फिर पालिसी लागू हो और चिकित्सा विभाग जैसे मानव सेवा से जुड़े विभाग में स्थानांतरण नीति को संवेदनशीलता के साथ अमल में लाया जाये। चिकित्सकों के अन्य राज्य कर्मियों से अधिक लंबे सेवा काल और विशिष्ठ सेवा के मद्देनजर उन्हें तीन डीएसीपी के बाद उच्चतम वेतन श्रृंखला 9500 ग्रेड पे के लाभ का प्रावधान किया जाएं।

(10)  चिकित्सकों और और चिकित्साकर्मियों के सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन योजना अर्थात OPS को जारी रखा जाए।

(11) राज्य में पिछले 20 वर्षों से लगभग 100 से अधिक चिकित्सक एडहॉक व्यवस्था पर कार्यरत हैं और स्थाई कर्मियों की ही भांति सभी सेवाएं दे रहे हैं, आपसे अनुरोध है कि नियमों में शिथिलन दिया जाकर इन्हें स्थाई किया जाए एवं सभी परिलाभ नियमित चिकित्सकों की भाँति किए जाने की घोषणा इसी बजट में कर उनकी इतने लम्बे समय से दी जा रही आम अवाम की सेवाओं को देखते हुए अनुगृहीत किया जावे।

(12.) सरकार ने जब चिकित्सकों की पदोन्नति के लिए डीएसीपी का प्रावधान किया तो उसका उद्देश्य उन्हें समयबद्ध पदोन्नति एवं वित्तीय लाभ देना था, किन्तु कतिपय कारणों से 2014 में यह लाभ कार्यग्रहण की तारीख से देय हो गया। 2018 में पुनः इसे डेट ऑफ एलिजिबिलिटी से कर दिया गया, इससे चिकित्सकों को चार वर्षों में बहुत वित्तीय हानि हुई है। आपसे निवेदन है कि 2014 से 2018 के मध्य पदोन्नत हुए चिकित्सकों को उनका एरियर दिलवाने का श्रम करावें। गौर करने की बात यह भी है कि समग्र केडर में से लगभग 75 प्रतिशत चिकित्सक इसका लाभ ले भी चुके हैं (इसलिए ज़्यादा वित्तीय भार भी राज्य पर नहीं आएगा) तो अन्य जो वंचित है उनको भी यह लाभ मिले यह आदेश दे कर राहत देने हेतु निवेदन।

(13).DACP के समयबद्ध क्रियान्वयन में 2-2 साल का विलम्ब हो रहा है, जो कि डीएसीपी के उद्देश्य और मूल भावना के ख़िलाफ़ है अतः निवेदन कि बजट में यह भी घोषणा हो कि अब से प्रतिवर्ष 31 मार्च को, आगामी 1 अप्रेल से डीएसीपी के पात्र चिकित्सकों की सूची जारी हो। (आईएएस / आरएएस केडर की भाँति)

(14.) सीएमएचओ कार्यालय में विभिन्न कानूनी और न्यायिक पक्ष पर मार्गदर्शन हेतु लीगल सेल में एक विधिक सलाहकार (एलए) का प्रावधान हो ताकि न्यायिक एवं आरटीआई से संबंधित मामलों में राज्य पक्ष की पैरवी बेहतर तरीक़े से हो सके अन्यथा चिकित्सक इन प्रक्रियाओं से अनभिज्ञ होते हैं और न्यायालय में समुचित पैरवी ना होने के कारण राज्य पक्ष अधिकतर मामलों में अपरिहार्य स्थिति से रूबरू होता है। साथ ही इन न्यायिक प्रकरणों की प्रक्रिया में ज़िला अधिकारियों की व्यस्तता के कारण ज़िलों की स्वास्थ्य सेवाएँ भी बाधित होती हैं।

अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ प्रवक्ता डाक्टर ज्योत्सना रंगा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार जताते हुए बताया कि राज्य के चिकित्सकों के सबसे बड़े संघ अरिस्दा अपना पक्ष रखने का अवसर देने और राज्य के विकास में भागीदार बनने का अवसर प्रदान करने के लिए पूरे राज्य के 15,000 सेवारत चिकित्सकों की ओर से सेवारत चिकित्सक संघ आभार व्यक्त करता है।

प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश के  मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में  उप मुख्यमंत्री श्रीमती दिया कुमारी, उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा,चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, मुख्य सचिव  सुधांशु पंत और अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्रीमती शुभ्रा सिंह सहित राज्य के सभी वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में अरिस्दा संघ के पक्ष को बहुत ही संजीदगी से सुना गया।

संघ की ओर से जो बजट प्रस्ताव प्रदेश के  मुख्यमंत्री  के समक्ष रखे गए 

प्रवक्ता डॉ. ज्योत्सना रंगा ने कहा कि संघ को पूर्ण विश्वास है कि उक्त प्रस्तावों को बजट में शामिल किया जाएगा और ये प्रस्ताव राज्य के स्वास्थ्य प्रबंधन को बेहतर बनाने में सहायक होंगे।

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