Sunday, October 20, 2024

बदल रहा है देश का प्रधानमंत्री! नितिन गड़करी हो सकते है नये पीएम!

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इस बार लोकसभा चुनावों में बहुत कुछ बदलता नजर आ रहा है। जहां भाजपा 400 पार के नारे के साथ अपनी सीटें खोती हुई दिखाई दे रही है,तो वहीं इंडिया गठबंधन अपनी उम्मीद के मुताबिक जीत हासिल करने में कोई भी कमी नहीं छोड़ रही है। लेकिन यहां बात भाजपा और इंडिया गठबंधन की नहीं है बल्की इससे भी बहुत ऊपर की है। यहां जो बदल रहा है वो है भाजपा और आरएसएस के रिश्तों की कहानी … लोकसभा चुनावों के बीचो बीच जिस बड़ी खबर ने देश औऱ दुनिया की राजनीति में भूचाल सा मचा दिया है वो ये है कि आरएसएस औऱ बीजेपी के बीच रिश्तें बहुत अच्छे नहीं चल रहे है।

कुछ दिनों पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुले तौर पर कह दिया कि भाजपा को अब आरएसएस की जरूरत नहीं है। भाजपा आज खुद सक्षम है। इस बयान के बाद देश औऱ राजनीति की गलियारो में हलचल मचा दी है औऱ ये चर्चा होने लगी है कि क्या आरएसएस और भाजपा में सब कुछ ठीक चल रहा है, क्योंकि अभी तक जहां आज भाजपा खड़ी है उसके पीछे संघ का ही हाथ माना जाता है। ऐसे अचानक से भाजपा के नेताओं की ओर से दिये गये इस तरह के बयान ने पूरी सियासत में तहलका मचा दिया है और कहा जा रहा है कि यहां कोई ऐसी बात हो गयी है जिसे सबसे छिपाया जा रहा है आखिर क्या वजह है कि जेपी नड्डा ने इतनी बड़ी बात इतने आसानी से कह दी ….
इतना ही नहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये बात भी आ रही है कि इस बार मोदी के बदले किसी नए चेहरे को भाजपा की कमान सौंपी जा सकती है यानी की इन चुनावों में मोदी जी जहां अपनी खुद की गारंटी देकर वोट बटोरने की कोशिश कर रहे है लेकिन दूसरी तरफ उनके खुद के पीएम पद पर रहने की गारंटी नहीं है,तो फिर ये कमान किसे सौंपी जाएगी।

भारतीय राजनीति में आरएसएस और बीजेपी में आई दरार को बहुत अच्छा नहीं माना जा रहा है सूत्रों के मुताबिक ऐसा कहा जा रहा है कि आरएसएस के मुख्य सर संघ चालक मोहन भागवत औऱ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत बंद है और ऐसा कहा जा रहा है कि इन चुनावों से आऱएसएस ने अपने हाथ खिंच लिये है औऱ प्रत्यक्ष रूप से इन चुनावों में अपना योगदान ना के बराबर दिया है। इसका मुख्य कारण मोहन भागवत और दत्तात्रेय होसबोले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से नाराजगी है। इन चुनावों में आरएसएस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टाइल ऑफ फंक्शनिंग से नाराज है। आरएसएस का मानना है कि मोदी एक डिक्टेटर की तरह काम कर रहे हैं और संघ को बिलकुल भी तवज्जो नहीं दे रहे है।


एक संभावना ये भी जताई जा रही है कि अगर बीजेपी केंद्र में विंनिग फिगर के साथ नहीं आ पाती है तो भाजपा के संगठन से लेकर सरकार में निश्चित रूप से बदलाव किये जा सकते है। दिल्ली के राजनैतिक गलियारो में इस सुगबुगाहट ने भी बड़ा जोर पकड़ा हुआ है कि अगर बीजपी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विनिंग फिगर नहीं टच कर पाई तो बीजेपी में राजनैतिक उथल पुथल होने की संभावना है ऐसे में संघ मुख्य रूप से सामने आकर अपना तुरूप का इक्का देश के प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने की भूमिका में नजर आ रहा है। इसके साथ अगर ऐसा होता है तो दिल्ली समेत कई राज्यों की राजनीति भी करवट बदलने को तैयार बैठी है जिसमें राजस्थान मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य मुख्य रूप से है। राजस्थान में वसुंधरा राजे अपने कमान संभाले हुये है औऱ बस मौके की नजाकत को भापते हुये अपनी शतरंज की बाजी चलने को तैयार है और राजस्थान में कमबैक की तैयारी के साथ राजस्थान की राजनीति को बदलने के मूड में है
आरएसएस में इस बात की चर्चा है कि अगर नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनावों
में बहुमत से कम सीटें लेकर आते है यानी कि अगर 272 से कम सीटें लाए तो आरएसएस इस बार बीजेपी की कमान किसी और को सौंप देने के मूड में है इसका मतलब ये है कि मोदी जी को रिप्लेस किया जा सकता है उनकी जगह कोई दूसरा प्रधानमंत्री बन सकता है। संभावना है कि मोहन भागवत नागपुर कनेक्शन के साथ ही नागपुर के नितिन गडकरी को नरेंद्र मोदी की जगह रिप्लेस कर सकते है।

आपको अंदर की बात बताते है कि पिछले कई समय से बीजेपी और आरएसएस के बीच में टकराव की स्थिति बनी हुई है। नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत के बीच किसी भी तरह का कोई संवाद नहीं है। यहां तक कि जब मोहन भागवत दिल्ली आते है तब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से उनसे कोई संवाद नहीं किया जाता। देखने में ये बात बहुत छोटी लगती है लेकिन असल में इसके मायने गहरे है। वहीं हाल ही में जेपी नड्डा ने मीडिया को दिये एक इंटरव्यू में चौकाने वाली बात कहते हुये कहा कि लोक सभा चुनावो में बीजेपी आरएसएस की कोई मदद नहीं ले रही बल्कि यूं कहा कि आरएसएस की मदद की अब बीजेपी को जरूरत नहीं है। नड्डा ने विवादित बयान देते हुये कहा कि ये मोदी और शाह का जमाना है। ये अकेले दम पर चुनाव लड़ सकते हैं।

लेकिन अंदर की खबर यह है कि जेपी नड्डा बीजेपी और आरएसएस के बारे में इतनी बड़ी बात कहने की हिम्मत अकेले नहीं कर सकते..इस स्क्रिप्ट को लिखने पीछे गुजराती लॉबी बताई जा रही है। इस बयान के बाद उद्धव ठाकरे ने यहां तक कह दिया था कि लगता है कि अब आरएसएस को मोदी जी ही बैन कर देंगे। इस बयान के बाद आरएसएस में नाराजगी देखने को मिल रही है और वो भाजपा की कमान किसी दूसरे हाथो में देने के मूड में है। हकीकत यह है कि एक बगावत का धुआं दिख रहा है बीजेपी में और मोदी जी 272 के बहुमत के निशान से नीचे आए तो कुछ भी हो सकता है। नितिन गडकरी के साथ योगी आदित्यनाथ की मुलाकातें और उसके साथ-साथ शिवराज सिंह ,वसुंधरा राजे, रमन सिंह, राजीव प्रताप रूडी या मुख्तार अब्बास नकवी एक लंबी लिस्ट है जो बीजेपी में कहीं ना कही नितिन गडकरी को चाहते हैं और मोदी जी से नाराज है अंदर ही अंदर खासकर उत्तर प्रदेश में अमित शाह और योगी के बीच में पर्दे के पीछे लड़ाई छिड़ी हुई है। अगर मोदी जी वाकई 272 से नीचे आते हैं तो रथ का घोड़ा बदल दिया जाएगा। यहां आपको ये भी बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औऱ कंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बीच लंबे समय संवाद ज्यादा नहीं है..इसके भी अपने अलग कई मायने है।

जब कैबिनेट का एक्सटेंशन हुआ जिसमें नारायण राणे समेत कई मंत्री बने। तब गडकरी से एम एस एम ई वापस ले लिया गया। उन्हे बोला गया था कि आपका इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय होगा।जिसमें रोड ट्रांसपोर्ट. सी ट्रांसपोर्ट. एयर ट्रांसपोर्ट.. रेलवे ट्रांसपोर्ट… ये सारे इकट्ठा करके एक इंटीग्रेटेड डिपार्टमेंट दिया जाएगा। लेकिन फिर उनको रोड ट्रांसपोर्ट ही दिया… साथ में शिपिंग भी दिया..लेकिन उसके बाद शिपिंग ले लिया गया। बाद दूसरे डिपार्टमेंट भी दिये लेकिन वो वापस ले लिये गये।

आपको यहां बता दें कि गडकरी से बहुत कुछ प्रॉमिस किये गये थे लेकिन उनमें से बहुत से पूरे नहीं हुए। उन्होने यहां तक कह दिया था कि मुझे मंत्रालय से फर्क नहीं पडता है। भले ही नितिन गडकरी और मोदी में रिश्ते अच्छे नहीं है। लेकिन नितिन गडकरी मोहन भागवत के काफी करीब है। दोनों ही नागपुर से संबंध रखते हैं। मान लीजिए अगर नरेंद्र मोदी चुनावो में 250 से नीचे सीटें लाते है और बाकी सहयोगी दल नरेंद्र मोदी को समर्थन नहीं देते है तो ये कहा जा सकता है कि गडकरी नरेंद्र मोदी जी का रिप्लेस बन सकते है।

सूत्रो का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री की सीटे विनिंग फिगर से कम आती है तो बीजेपी के सहयोग दल नितिन गड़करी को समर्थन देकर देश के प्रधानमंत्री में रूप महत्वपूर्व भूमिका निभा सकते है।इधऱ आरएसएस भी मजबूत तैयारी करके बैठा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औऱ अमित शाह के काम के तरीके की नराजगी को लेकर इस बदलाव में सभी की सहमति को लेकर मोदी औऱ शाह के लिये दिक्कत पैदा करेगी। समय आने पर संघ की ओर से राजनाथ सिंह फ्रेंट खोलेंगे ।

यूपी के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटे बीजेपी के पास रहेंगी ऐसे नितिन गडकरी यही से मजबूत होते दिखाई देंगे।नितिन गडकरी के बीजेपी में सभी से अच्छे संबंध होने के साथ ही बाकि घटक दलों के नेताओं से भी अच्छे संबंध है शिवराज सिंह चौहान रमन सिंह, वसुंधरा राजे, योगी आदित्यनाथ, यदुरप्पा, राजीव प्रताप रूढी या शाहनवाज हुसैन,मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेता ऐसी लॉबी है जो कही ना कही नितिन गडकरी के पीछे खडी है। अगर प्रधानमंत्री के रूप में नितिन गडकरी का नाम रखा जाता है तो वे खुद महाराष्ट्र से आते है तो शिवसेना के साथ शरद पवार भी उनके साथ आ जाएंगे। फिर ममता बैनर्जी औऱ शिरोमणि अकाली दल भी आ जाएगा। इस तरीके से नितिन गडकरी के प्रधानमंत्री पद में आने वाली दिक्कते खत्म हो सकती है।

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