Wednesday, December 25, 2024

बागियों को मानना नहीं है आसान, भाजपा के कई नेताओं की कोशिश कितनी होगी कारगर सभी को है इंतजार

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विधानसभा चुनाव 2023 में प्रत्याशियों का मुकाबला किसके बीच होगा इसकी स्थिति गुरुवार को नामांकन वापसी के साथ स्पष्ट हो जाएगी। दोपहर 3 बजे तक कौन किसको किस तरह से मनाकर बैठाने में कामयाब होगा यह देखना निश्चित तौर पर देखना दिलचस्प रहेगा। फिलहाल नाम वापसी के इस काउंटडाउन के बीच भाजपा के दिल्ली से जयपुर तक के नेता नामांकन भर चुके बागियों और निर्दलीय की मान-मनव्वल में जुटे हैं।

बागियों और निर्दलीय आवेदकों को नामांकन वापस लेने के लिए मनाने की कमान वरिष्ठ नेता भाजपा के प्रभारी अरुण सिंह, चुनाव प्रभारीऔर संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी,जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,राजस्थान में बागियों  को बैठने की कमेटी के अध्यक्ष और केंद्रीय किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी,प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़,सह प्रभारी रहाटकर ,राष्ट्रीय मंत्री डॉ. अलका सिंहने संभाली हुई है। 

लेकिन अभी तक बागियों और निर्दलीय बैठने में अधिक कामयाबी नहीं मिली है। केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्रीवसुंधरा राजे कोपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी है।यही कारण है किअभी तक वेअधिक सक्रिय होकर बागियों पार्टी की मुहिम में शामिल नहीं हो पाई है।मौजूदा स्थिति में सबसे ज्यादा बागियों को उन्हीं का आशीर्वाद है। प्रदेश में ऐसी करीब 12 से ज्यादा सीटें हैं जहां बागी भाजपा का माहौल बिगाड़ रहे हैं।


भाजपा के 10 बागियों को मनाना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।इसमें से चंद्रभान सिंह आक्या, चित्तौड़गढ़, जीवाराम चौधरी, सांचौर,राजपाल सिंह शेखावत, झोटवाड़ा,आशुसिंह सुरपुरा, झोटवाड़ा, मुकेश गोयल, कोटपूतली रविन्द्र सिंह, शिव कैलाश मेघवाल, शाहपुरा,बंशीधर बाजिया, खंडेला, यूनुस खान, डीडवाना,भवानी सिंह राजावत, लाडपुरा सभी बागीयों का सीधा संबंध पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से है।लेकिन अभी तक उनकी सक्रियता देखने को नहीं मिल रही है ऐसे में कई सवाल उठाए जा रहे हैं कि इन बाकियों को गुरुवार नो नवंबर को दोपहर 12 बजे तक नहीं मनाया तो पार्टी की स्थिति खराब होगी। 

एकभाजपा के मुख्यालय परप्रभारी अरुण सिंह ने बागियों  को बैठने के लिए बैठक ली इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मौजूद नहीं रही। अब सवाल यह उठता है कि बहरोड की जनसभा में अलवर के सांसद और तिजारा से भाजपा प्रत्याशी बालक नाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भविष्य की मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया।उन्होंने लोगों से इसी बात को लेकर वोट मांगे। अब चर्चा का विषय बन गया है कि क्या वसुंधरा जी को फिर से मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में देखा जा रहा है क्या ! सवाल बहुत है जवाब किसी के पास नहीं है लेकिन जिस प्रकार की चर्चा हुई है उसे निश्चित तौर परएक नया विवाद सामने उभरकर सामने आने लगा है।

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