बीकानेर। ताजा जानकारी के अनुसार पता चला है कि बीकानेर पूर्व विधान सभा सीट पर प्रत्याशी घोषित करने का मामला फिर अटक गया है।
जानकारी अनुसार कल सायं तक तो टिकट नहीं मिलने से भाजपा पार्टी से नाराज महावीर रांका के इशारे पर उनके कार्यकर्ताओं की विद्रोही भाषा गूंज रही थी, मगर लगता है आज स्वर बदल गये हैं, अंदरखाने क्या चल रहा है, पता नहीं है, मगर जनता के बीच तो यह ही जाहिर कर रहे हैं कि पार्टी का निर्णय स्वीकार है, कहते हैं कि इसके पीछे भी अनेकों कारण है, जिनमें प्रमुख बात जो बताई जा रही है वह यह है कि “सौदा” अभी तक पटा नहीं है, बीच में दो बड़े सेठ अशोक मोदी व कन्हैयालाल झंवर भी दावेदार बनकर कांग्रेस पार्टी हाई कमान पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है, और वह भी सभी मामलों में रांका से कमजोर नहीं है, यह बात अलग है कि अशोक मोदी का जन जुडाव व सामाजिक प्रभाव नहीं के बराबर है, मगर पैसों के मामले में अन्य दोनों से बहुत आगे है।
हालांकि पूछने पर कन्हैया लाल झंवर ने बीकानेर की पूर्व विधानसभा सीट से कांग्रेस के बैनर पर चुनाव लड़ने से साफ इंकार करते हुए कहा है कि नोखा में विकाश मंच के बैनर से नोखा विधानसभा का चुनाव लड़ूंगा। मगर इसके बावजूद भी चर्चा यह है कि कन्हैया लाल झंवर ने बीकानेर पूर्व विधान सभा छेत्र से कांग्रेस टिकिट के दावेदार बने हुए है। अगर इस बात में सचाई है तो इन सबमें मजबूत दावेदार कन्हैया लाल झंवर ही है, जिन्होंने पिछला विधान सभा चुनाव भी कांग्रेस टिकट पर पूर्व विधान सभा सीट से लड़ा था, और भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सिद्धि को जोरदार टक्कर दी थी, मगर कम शहरी क्षेत्र में पहला चुनाव होने और कम समय मिलने के कारण मामूली वोटों से हार गये थे, बाद में वह नोखा चले गये जहां से पहले एक बार चुनाव जीते, उसको वापस कार्यक्षेत्र बनाकर नोखा विकास मंच के बैनर पर नोखा विधान सभा सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके थे , चूंकि अब नोखा विधान सभा क्षेत्र की स्थिति कांग्रेस टिकट पर पिछला चुनाव हारे रामेश्वर डूडी को गंभीर बीमारी होने के कारण वोटरों की उनके परिवार के प्रति सहानुभूति हो जाने के कारण बदल गई है, जिसका फायदा कांग्रेस द्वारा रामेश्वर डूडी की पत्नी को प्रत्याशी बनाने के साथ ही मिलना तय हो गया है, इस बात को भांपकर कन्हैया लाल झंवर नोखा का मैदान छोडकर बीकानेर पूर्व से कांग्रेस टिकट पर चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं।
जहाँ तक अशोक मोदी का सवाल है, वह बहुत बडा सेठ है, जिनका जन व सामाजिक जुडाव ज्यादा नहीं है तो क्या हुवा , पैसों की बहुत बड़ी ताकत है, लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों के नेताओं से संपर्क है, पैसों की ताकत पर “राजयोग ” बनाने की कौशिश में जुटा हुआ है। सफलता कहां तक मिलती है, कुछ कहना मुश्किल है, मगर ताजा रिपोर्ट के अनुसार पूर्व विधान सभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की दावेदारी में अभी सबसे आगे है।
लंबे समय तक भाजपा के लगभग सभी कार्यक्रमों में भीड़ इकठ्ठी करनी, पैसा लगाना और नेताओं की बेगारे निकालने के अलावा समूचे पांच साल तक पूर्व विधान सभा क्षेत्र के लोगों की तन, मन, धन से सेवा करने के बावजूद भी भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थामने की कौशिश की बताते हैं, मगर अशोक मोदी व कन्हैयालाल झंवर के बीच में कूद जाने से रोडा अटक गया है।
एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि रांका के विद्रोह की चर्चाएं जब भाजपा नेताओं तक पहुंची तो उपर से फटकार पड़ी, तब रांका के साथ वाले कुछ “सेठो” ने राय दी बताते है कि कांच के घरों में बैठे हैं, धंधे क्या है, सबको पता है, मोदी सरकार रिद्धि सिद्धि भेजते टाईम नहीं लगाती, इसलिए खामोशी ठीक है, कहते हैं इसी बात को रांका ने गंभीरता से लेते हुवे पीछे हटने लगे है।
वैसे तो आज लाईव वायरल विडियों के अनुसार रांका ने कहा है कि मैने पिछले पांच साल क्षेत्र की जनता की खूब सेवा की है, मगर फिर भी मुझे भाजपा ने टिकट नहीं देकर अन्याय किया है, इस बात को लेकर मेरे कार्यकर्ताओं में रोष है, पार्टी से मांग करता हूँ कि पूर्व विधान सभा सीट पर घोषित प्रत्याशी पर पुन: विचार करें, साथ में धमकी भरे लहजे में कहा भी है कि अन्यथा 25 अक्तूबर को रैली निकालकर मेर कार्यकर्ताओं की भावनाओं के निर्णय लेने पर विचार करेंगे।
कुल मिलाकर बीकानेर पूर्व विधान सभा सीट पर प्रत्याशी का चयन कांग्रेस पार्टी के लिये मुश्किल हो गया है, तीन सेठो के झगड़ों में यशपाल गहलोत व दो तीन अन्य कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता भी टिकट की लाईन में लगे हुवे है, जिनमें से किसी को सफलता तभी मिलेगी जब इन सेठो से सौदा पटेगा नहीं।