Friday, October 18, 2024

ब्यूरोक्रेसी केल रही मौज, भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं, हालात ये आधे से ज़्यादा अधिकारी रिटायर्ड हो गये पर जाँच पूरी नहीं हुई

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देश हो या प्रदेश हर चुनावों में हर राजनैतिक पार्टी सत्ता में आने से पहले भ्रष्ट्राचार को खत्म करने का दावा करती है औऱ यहीं कहती है कि हम सत्ता में आने के बाद जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने के साथ साथ पारदर्शी और सुशासन लाएंगे…लेकिन जैसे ही ये पार्टियां सत्ता में आती है वैसे ही जीरो टॉलरेंस के दावे सिर्फ मौखिक और काजगी हो जाते हैं.. …इसमें सबसे ज्यादा फायदा मिलता है ब्योरोक्रेसी के भ्रष्ट अफसरों को …जो बिना किसी डर के इन सरकारों की शह में रिश्वतखोरी, घपले और आय से ज्यादा सम्पत्ति जैसे आपराधों को बड़ी आसानी से अंजाम देते है…और इनका बाल तक बांका नहीं होता है …कई बार मामले दर्ज भी होते है लेकिन ये मामले सिर्फ फाइल बनकर रह जाते है लेकिन इन भ्रष्ट्र अफसरों का कुछ नहीं होता है ….राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही है …यहां भी भ्रष्ट्राचरा चरम पर है ..फिर चाहे सरकार किसी भी हो ..भाजपा हो या कंग्रेस हर सरकार में भ्रष्ट्र अफसरों की लिस्ट लंबी होती है ..लेकिन इन पर कार्रवाई कुछ नहीं होती है ….आज के इस विडियो में हम ऐसे ही करीब 18 भ्रष्ट्र अधिकारियों की बात करेंगे अफसरों की बात करेंगे जिनके खिलाफ भ्रष्ट्राचार के मामले दर्ज है और वो करीब बीस साल से पेंडिंग पड़े है …इन में से कुछ अधिकारी तो एसीबी को मंजूरी मिलने से पहले ही रिटायर तक हो गये …तो चलिये जानते है कि वो कौन कौन से ऐसे भ्रष्ट्र अधिकारी है जिनको सरकार की पनाह मिलने के चलते वो आज भी बहुत आराम से खुले में घुम रहे है
अभी तीन जुलाई से राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही जारी है…इस दौरान कई मुद्दों को विपक्ष द्वारा उठाया गया है ….जिनमें से कुछ को सत्ता पक्ष ने माना भी है ..वहीं इन सबके बीच भ्रष्ट्र ब्योरोक्रेसी का मामला काफी ज्यादा गरमाया है ….. जोधपुर शहर से भाजपा विधायक अतुल भंसाली ने प्रदेश के भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई से जुड़े इस मामले को विधान सभा में उठाया ..इस दौरान उन्होने सवाल पूछा इन भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही है …जबकि इन के खिलाफ मुकदमा दर्ज है … इन भ्रष्ट अफसरों में कई आईएएस, आईपीएस, आरपीएस और आरएएस अफसर भी शामिल हैं।
वहीं इस सवाल पर संसदीय कार्यमंत्री ने जवाब देते हुए बताया कि एसीबी की गिरफ्त में आए सैकड़ों अफसरों और कर्मचारियों की अभियोजन स्वीकृति सरकार के पास लंबित है। यानी की यहां ये कहा जा सकता है कि जो अफसर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गये और जिनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज हुआ। उनके खिलाफ चालान पेश करने की अनुमति सरकार की ओर नहीं दी जा रही। ऐसे में हम यहां कह सकते है एक सरकार को अपना शासन चलाने में अगर किसी भ्रष्ट ब्यौरोक्रेसी का सहारा लेना पड़े तो वो आराम से ले सकती है …लेकिन वो इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगी …
कौन बचा रहा है रिश्वतखोर अफसरों को ?

आपकों बता दें कि प्रदेश में करीब 200 अफसर और कर्मचारी ऐसे हैं जो या तो रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार हुए हैं या उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा दर्ज हुआ है। एसीबी ने जिन भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की। उन अफसरों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति ना तो भाजपा सरकार ने दी और ना ही कांग्रेस सरकार ने। दोनों ही पार्टियां कार्रवाई नहीं करने की जिम्मेदारी दूसरे पर थोप रही है जबकि हकीकत में दोनों ही दलों की सरकारें भ्रष्ट अफसरों को बचाती रही है। भाजपा विधायक अतुल भंसाली के सवाल का जवाब देते हुए सरकार की ओर से बताया गया कि अप्रैल 2019 से लेकर मई 2024 तक यानी पिछले पांच साल में 182 अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ एसीबी ने कार्रवाई की लेकिन उन भ्रष्ट कार्मिकों के खिलाफ चालान पेश करने की अनुमति विभाग या सरकार की ओर से नहीं दी गई। कई अफसर को सेवानिवृत्त भी हो गए लेकिन उनके खिलाफ केस चलाने की अनुमति सरकार की ओर से नहीं दी गई। इस दौरान संसदीय कार्मिक मंत्री ने कहा कि ब्योरोक्रेस में 19 IAS, IPS, RAS और RPS अधिकारियों के खिलाफ 18 मामले लंबित है..इन 18 प्रकरणों में 6 प्रकरण 2017, वर्ष 2018 का 1 प्रकरण है, 2019 का एक प्रकरण है, 2020 में कोई नहीं है, 2021 में 2 और 2022 के पांच, 2023 के 3 प्रकरण विभिन्न कारणों से अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गई है. किसी में कोर्ट स्टे, किसी में भारत सरकार की अनुमति बाकी है. वहीं, विधायक अतुल भंसाली ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति लंबित रहती है, उनके नीचे के अधिकारी बचने का कोई न कोई उपाय निकलते हैं.
चलिए अब उन अधिकारीयों के बारे जाने लेते है जिन्हे लेकर विधानसभा में इतना बवाल मचा था
इन अफसरों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति सरकार ने अटकाई

  1. निर्मला मीणा (आईएएस) – अभियोजन स्वीकृति 10 जुलाई 2018 से लंबित
  2. नन्नूमल पहाड़िया (सेवानिवृत्त आईएएस) अभियोजन स्वीकृति 28 जून 2022 से लंबित
  3. विश्राम मीणा (आईएएस) – अभियोजन स्वीकृति 19 जुलाई 2023 से लंबित
  4. पुष्कर मित्तल (आरएएस) – अभियोजन स्वीकृति 17 मार्च 2021 से लंबित
  5. दाताराम (आरएएस) – अभियोजन स्वीकृति 12 फरवरी 2021 से लंबित
  6. ममता यादव (आरएएस) – अभियोजन स्वीकृति 4 अप्रैल 2022 से लंबित
  7. निशू अग्निहोत्री (आरएएस) – अभियोजन स्वीकृति 6 अक्टूबर 2022 से लंबित
  8. भैरूंलाल वर्मा (सेवानिवृत्त आरएएस) – अभियोजन स्वीकृति 9 मार्च 2023 से लंबित
  9. मोहनलाल गुप्ता (सेवानिवृत्त आरएएस) – अभियोजन स्वीकृति 2 अगस्त 2023 से लंबित
  10. महेश गगोरिया (आरएएस) – अभियोजन स्वीकृति 3 जून 2024 से लंबित
  11. रामजीलाल वर्मा (सेवानिवृत्त आरएएस) – अभियोजन स्वीकृति 10
  12. पिंकी मीणा- तत्कालीन उपखंड अधिकारी, बांदीकुई
    जुलाई 2024 से लंबित
  13. आश मोहम्मद (सेवानिवृत्त आरपीएस) – अभियोजन स्वीकृति 22 अक्टूबर 2019 से लंबित
  14. सत्यपाल मिढ्ढा (सेवानिवृत्त आरपीएस) – अभियोजन स्वीकृति 16 नवंबर 2021 से लंबित
  15. वीरेंद्र कुमार (सेवानिवृत्त आरपीएस) – अभियोजन स्वीकृति 24 जनवरी 2022 से लंबित
  16. सुगन चंद पंवार (आरपीएस) – अभियोजन स्वीकृति 8 मार्च 2022 से लंबित
  17. जितेंद्र कुमार जैन (आरपीएस) – अभियोजन स्वीकृति 10 मई 2023 से लंबित
  18. दिव्या मित्तल (आरपीएस) – अभियोजन स्वीकृति 12 जून 2023 से लंबित
    इसके अलावा वरिष्ठ आईएएस अखिल अरोड़ा, रवि जैन, अरूण पुरोहित, रिटायर्ड आईएएस निरंजन आर्य, उज्जवल राठौर के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने परिवाद दर्ज कर संबंधित विभागों से जांच की अनुमति मांगी है। वरिष्ठ आरएएस अफसर केसर लाल मीना, पुरूषोत्तम शर्मा, छोगाराम देवासी, चन्द्रशेखर भंडारी, शिप्रा शर्मा, सीता शर्मा, राजकुमार सिंह, रविन्द्र कुमार, मुकेश मीना, जवाहर चौधरी, कमल यादव, हर्षित वर्मा, अशोक रणवा, सुभाष महरिया सहित अन्य आरएएस अफसरों के खिलाफ आई शिकायतों पर भी परिवाद दर्ज किए गए हैं। एसीबी ने अनुसंधान के लिए कार्मिक विभाग से अनुमति मांगी है।

पहले वसुंधरा, फिर गहलोत अब भजनलाल के कार्यकाल में अटकी अभियोजन स्वीकृति
2 अप्रैल 2019 से लेकर 27 मई 2024 तक अभियोजन स्वीकृति के लंबित मामलों की सूची संसदीय कार्य मंत्री ने विधानसभा में जारी की। इनमें एक प्रकरण जो आईएएस निर्मला मीणा से जुड़ा है, वह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल (जुलाई 2018) से लंबित है। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल के 45 मामले लंबित है जबकि दो प्रकरण मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कार्यकाल के दो मामले लंबित हैं। मौजूदा सरकार के प्रकरणों में आरएएस महेश गगोरिया और सेवानिवृत्त आरएएस रामजीलाल वर्मा का है। गगोरिया की अभियोजन स्वीकृति जून 2024 से और वर्मा की अभियोजन स्वीकृति जुलाई 2024 से लंबित है।
अब यहां देखना होगा कि भ्रष्ट ब्यौरोक्रेसी के खिलाफ केस चलाने की अनुमति कब पूरी की जाती है और इन्हे सजा मिलती है ..

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