भाजपा के विधायकों के विरोध के चलते भू-जल प्रबंध प्राधिकरण बिल को गुरुवार को विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी को भेजने का फैसला किया गया।
जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरीने बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानीने इसे विचार के लिए कमेटी को भेज दिया है।
भाजपा के ही विधायकों ने ही इसके प्रावधानों पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस के विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सौ जूते और सौ प्याज एक साथ खाने की जरूरत कहां थी, जब तैयारी नहीं थी तो बिल लेकर आने की जरूरत कहां थी।
भूजल प्रबंध प्राधिकरण बनाकर जमीन से पानी के दोहन पर रोक लगाने के कई प्रावधान किए जा रहे थे। भूजल प्रबंधन प्राधिकरण से एनओसी लिए बिना ट्यूबवेल खोदने पर रोक लगाने का प्रावधान था। निजी इंडस्ट्रीज और घरेलू ट्यूबवेल खुदाई पर भी रोक का प्रावधान था। जमीन से पानी निकालने पर कई तरह की राशनिंग करते हुए बहुत सी पाबंदियों के प्रावधान थे। उद्योगों के लिए जमीन से पानी निकालने पर टैक्स लेने और उनमें टेली मीट्रिक डिजिटल वाटर मीटर लगाए जाने का प्रावधान था।