कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मंत्रियों की जासूसी के आरोप लगाए और कहा कि मंत्रियों के स्पेशल असिस्टेंट (एसए) उनके मन मुताबिक नहीं लगे। मंत्रियों की चल नहीं रही है, ब्यूरोक्रेसी हावी है। जो एसए लगे हैं, वो मंत्रियों की जासूसी कर रहे हैं।दिल्ली या मुख्य सचिव को रिपोर्ट कर रहे हैं कि यह फाइल आई है। यह फाइल इधर जा रही है, उधर जा रही है। मंत्री यह देख रहा है, यह पूछ रहा है या कह रहा है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा जयपुर के होटल मैरियट में कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह तो लोकतंत्र का घोर अपमान है और उसकी हत्या की जा रही है। उन्होंने कहा कि विभाग का काम करने के लिए मंत्री स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन मंत्री तो इस्तीफा लिए घूम रहे हैं।
अब आप देखिए, यह कितनी हास्यास्पद, शर्मनाक और अपमानजनक बात है कि एक मंत्री इस्तीफा देता है। 20-25 दिन गुप्त रखता है। 10 दिन के लगभग हो जाने के बाद भी आज तक साफ नहीं है कि इस्तीफा मंजूर हुआ या नहीं। आज भी पता नहीं है कि वह मंत्री है या नहीं है। उसका इस्तीफा स्वीकार हुआ या नहीं हुआ।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि कृषि से संबंधी बजट को लेकर जितने भी प्रस्ताव शामिल किए गए हैं, क्या किरोड़ी लाल मीणा की जानकारी में हैं ? क्या अधिकारियों ने उनसे चर्चा की है ?
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि मुख्यमंत्री बजट पूर्व बैठकों में सुझाव ले रहे थे, हर वर्ग से चर्चा की है। वित्त मंत्री दीया कुमारी जो बजट पेश कर रही है, उन्होंने कितनी बैठक लीं। वे कितनी बैठकों में मौजूद रहीं? बजट में वित्त मंत्री का विजन आएगा या मुख्यमंत्री का? जिन्होंने सारी बैठकें की, उनका विजन आएगा या वित्त मंत्री का ? ये नई परंपरा की शुरुआत कर रहे हैं कि बजट कोई पढ़ेगा, बनाएगा कोई और उस पर काम फील्ड में कैसे कर पाएंगे, यह सोचने का सवाल है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि दीया कुमारी ने जो पिछला अंतरिम बजट पेश करके उसमें घोषणाएं वित्त मंत्री की हैसियत से की थीं। विधानसभा में जब बजट पर बहस होगी, तब हम उनसे पूछेंगे कि उन घोषणाओं का क्या हुआ?
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि बजट बहस में हम एक-एक चीज बताएंगे कि आपने केवल बातें की हैं, बातों के अलावा कुछ नहीं किया है। यह केवल मन की बात कर रहे हैं, काम की बात नहीं कर रहे हैं। जब इनका मुखिया ही काम की बात की जगह मन की ही बात करता है तो ये कहां से काम की बात करेंगे?