मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार के आठ महीने पूरे होने के बावजूद बड़े प्रशासनिक फेरबदल में देरी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जबकि सत्ता में आने के बाद से ही उम्मीद की जा रही थी कि मुख्यमंत्री शर्मा प्रशासन में बड़े स्तर पर बदलाव करेंगे, खासकर उन अधिकारियों के संदर्भ में जो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समय से अपने पदों पर बने हुए हैं। हालांकि अब तक ऐसे व्यापक बदलाव देखने को नहीं मिले हैं, और यह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में यह आम धारणा है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा सत्र के कारण मुख्यमंत्री शर्मा ने बड़े फेरबदल को टाल दिया था। लेकिन अब जब ये प्रमुख आयोजन समाप्त हो चुके हैं, तो सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस देरी का कारण क्या है। क्या मुख्यमंत्री किसी विशेष रणनीति के तहत इन बदलावों में देरी कर रहे हैं, या फिर यह सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रियाओं की वजह से है?
मुख्यमंत्री शर्मा ने कुछ कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए 23 अगस्त को जारी आदेश के तहत, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर गए आईएएस अधिकारी पूरन चंद किशन के स्थान पर राजेश यादव को प्रमुख शासन सचिव कौशल विकास का कार्यभार दिया गया है। इसी तरह अन्य कुछ अधिकारियों को भी उनके नए पद दिए गए हैं।
इसके बावजूद, बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल अभी भी बाकी है। प्रमुख विभागों में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के बारे में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि कब तक इन पदों पर बदलाव होंगे और किसे नई टीम में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाएगी।
अब यह माना जा रहा है कि सितंबर माह में मुख्यमंत्री शर्मा एक व्यापक फेरबदल की योजना बना सकते हैं, जिससे उनकी नई टीम का गठन हो सके और राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में ताजगी आ सके। इससे यह स्पष्ट होगा कि मुख्यमंत्री शर्मा किस दिशा में प्रशासनिक नीतियों को आगे ले जाना चाहते हैं और वे किन अधिकारियों पर भरोसा करते हैं।
कुल मिलाकर, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले हफ्तों में मुख्यमंत्री शर्मा किस तरह से अपने प्रशासनिक ढांचे को पुनर्गठित करते हैं और क्या ये बदलाव राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में कोई महत्वपूर्ण सुधार ला पाएंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के समय के लगे दो दर्जन आईएएस अधिकारी और आईपीएस अधिकारी अपने पुराने पदों पर आज भी मौजूद है। भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं में इस बात की चर्चा जोरों पर रहती है कि मुख्यमंत्री शर्मा पहले लोकसभा के चुनाव और फिर विधानसभा के सत्र के कारण बड़े अधिकारियों के विभागों में कोई खास फेरबदल नहीं कर पाए थे।
मुख्यमंत्री शर्मा के निर्देश पर 23 अगस्त शुक्रवार को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर गए आईएएस अधिकारी पूरन चंद किशन के स्थान पर हाल ही में केंद्र से लौटे आईएएस अधिकारी राजेश यादव को प्रमुख शासन सचिव कौशल विकास का कार्यभार दिया है। इसके अलावाआईएएस अधिकारी कुमार पाल गौतम कोआरएसएलडीसी का एमडी बनाया है।
केंद्र में सीआईएसएफएस में आईजी पद पर प्रतिनियुक्ति पर गए आईपीएस अधिकारी नव ज्योति गोगोई कार्यमुक्त करने के आदेश जारी किए है।
प्रदेश के सत्ता और विपक्ष के राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा जोरों पर है कि मुख्यमंत्री शर्मा वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा, चिकित्सा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह,पर्यटन विभाग में लगी प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौर, जयपुर विकास प्राधिकरण की आयुक्त मंजू राजपाल, हेमंत गेरा को कार्मिक सचिव,अमिताभ शर्मा को उद्योग सचिव, सुषमा अरोड़ा एमडी आरसीडीएफ,मनीष अरोड़ा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, बांसवाड़ा के संभागीय आयुक्त नीरज के भवन,अजमेर के संभाग की आयुक्त महेश शर्मा, उदयपुर के संभागीय आयुक्त राजेंद्र कुमार भट्ट,प्रेरणा कुंतल, दिनेश कुमारराजस्व सचिव को अतिरिक्त कार्यभार रेवेन्यू बोर्ड अजमेर के अध्यक्ष का पद और केके पाठक को अजमेर कर बोर्ड का अतिरिक्त कारोबार दिया गया है।
अब यह कयास लगाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शर्मा अधिकारियों की नई टीम में किसको और जगह और महत्वपूर्ण पर देंगेइसका बदलाव कब तक होगा इसका सभी को इंतजार है। फिलहाल कार्मिक विभाग ने प्रतिनिधियों पर जाने वाले अधिकारियों की जगह केंद्र से प्रति नियुक्ति से लौटकर आने वाले अधिकारियों को नियुक्त कर दिया है। फिलहाल यह माना जा रहा है किसितंबर माह में मुख्यमंत्री व्यापक पैमाने पर इस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले करेंगे।

