सरकारे आती हैं पाँच साल में चली जाती हैं लेकिन इस जाती हुई सरकार में साथ इनकी नौकरी भी चली जायेंगी ऐसा इन्होंने सोचा भी नहीं था। बीजेपी की नई सरकार ने आते ही 50 हज़ार महात्मा गांधी सेवा प्रेरक भर्ती रद्द कर रोजगार छीन लिया। इनका काम केवल सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने का था। ये कौनसी पार्टी के थे किस पार्टी का इन पर ठप्पा लगा हुआ था ये तो केवल सरकार का काम कर रहे थे। ऐसे सवालों के बीच अब नई सरकार पर आते ही विवादों के बीच घिर गई हैं।
करीब एक महीने पहले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के युवाओं को हर महीने 50 हजार यानि 5 साल में 2.50 लाख सरकारी नौकरियां देने की गारंटी दी थी। लेकिन, प्रदेश में सरकार बनने के बाद युवाओं को सरकारी नौकरी तो नहीं मिली, बल्कि लगी हुई नौकरी छिन जरूर गई। एक दिन पहले ही एक आदेश जारी कर राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम के तहत लगे करीब 5000 युवाओं की सेवाएं समाप्त कर दी थी। ये युवा सरकारी योजनाओं को धरातल तक पहुंचाने का काम कर रहे थे। अब मंगलवार को करीब 50,000 महात्मा गांधी सेवा प्रेरक भर्ती प्रक्रिया भी रद्द कर दी है।
महात्मा गांधी प्रेरकों की भर्ती करने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में बिंदु संख्या 133 पर की थी। इस भर्ती के लिए 13 अगस्त, 2023 को विज्ञप्ति भी जारी की जा चुकी थी। प्रदेश में व्यवस्था बदलने के साथ ही रोजगार छिनने से युवाओं में भारी निराशा है। क्योंकि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में कोई स्थिति स्पष्ट नही की गई है कि आखिर बेरोजगार हुए इन युवाओं का भविष्य अब क्या होगा। राजस्थान पहले ही बेरोजगारी के मामले में उच्च पायदान पर है।
इस मामले पर सरकार पर हमला बोलते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कहा है कि राजीव गांधी युवा मित्रों को हटाने के बाद भाजपा सरकार द्वारा 50 हजार महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती प्रक्रिया रद्द करना युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात है। सेवा प्रेरक का काम अंहिसा, प्रेम और गांधी दर्शन का प्रचार-प्रसार करना था लेकिन जिन्हें गोडसे में विश्वास हो वो गांधी जी के विचारों को कैसे बढ़ा पाते! इसीलिए इन्होंने ये क़दम उठाया है। भाजपा सरकार रोजगार का रोडमैप बनाने की बजाय रोजगार छीनकर युवाओं को बेरोजगारी में धकेलने का काम रही है।
जब इसे सियासत का रूप दे ही दिया गया तो फिर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नई सरकार पर निशान साधते हुए कहाकि नई सरकार को इन योजना के नाम से परेशानी थी तो राजीव गांधी सेवा केन्द्रों की तरह नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर कर सकती थी। प्रदेशवासी जानते हैं कि पिछले कार्यकाल में BJP सरकार द्वारा अस्थायी तौर पर लगाए गए पंचायत सहायकों को हमारी सरकार ने स्थायी कर उनका वेतन बढ़ाया था। ऐसी ही सकारात्मक सोच से नई सरकार को भी राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम और अन्य योजनाओं को जारी रखना चाहिए।