Tuesday, December 24, 2024

राजनीतिक पार्टियों का ‘वॉर रुम’ जहां से लड़ा और लड़वाया जाता है पार्टी और नेताओं को चुनाव

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2014 में भाजपा द्वारा लड़े गए लोकसभा चुनाव के बाद पूरे देश में लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने चुनाव लड़ने का तरीका आधुनिक और टेक्नोलॉजी आधारित कर दिया है। अब केवल नेताओं के भाषण, रोड शो, नुक्कड़ सभाएं और डोर टू डोर कैम्पेन के अलावा भी चुनावी रण लड़ा जाता है। इसका जीता जागते उदाहरण हैं कांग्रेस और भाजपा के वॉर रूम जो राजधानी जयपुर से चल रहे हैं। ये वॉर रूम ना केवल स्टार प्रचारकों के दौरों का समन्वय करते हैं, रीयल टाइम में उन्हें ट्रैक करते हैं बल्कि अंतिम समय के बदलाव और हवाई उड़ान जैसे लॉजिस्टिक्स में दखल रखते हैं। कांग्रेस में लगभग 100 तो भाजपा में करीब 175 लोग इस काम को 24 घंटों में बांटी हुआ शिफ्टों में करते हैं। 

राहुल ने ही दिल्ली के महरौली से कांग्रेस के पहले वॉर रूम का संचालन शुरू करवाया था। उसी समय कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम को ‘सिस्टमेटिक’ तरीके से सुचारु किया गया था। शुरु में राहुल ने सोशल मीडिया की टीम का जिम्मा दक्षिण भारत की ‘टेक सेवी’ अभिनेत्री दिव्या स्पंदना को दिया था।  दिव्या ने ही उस टीम का गठन किया था जिसके कई सदस्य आज भी दिल्ली से कांग्रेस का सोशल मीडिया का काम देख रहे हैं। यह सोशल मीडिया टीम किसी भी राज्य में काम कर रहे वॉर रुम की तर्ज पर गोपनीय ही होती है। दोनों ही जगह पेशेवर लोग काम करते हैं।      

कांग्रेस के वॉर रूम में रविवार को पार्टी नेता राहुल गांधी अचानक पहुंचे। यहां वॉर रूम के चेयरमैन पूर्व आईएएस शशिकांत सैंथिल टीम के साथ 24 घंटे कार्यरत हैं। वह पूर्व में तमिलनाडु में भी यह जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। कर्नाटक चुनाव में रणनीतिकार भी रहे हैं। वॉर रूम में सुबह जल्दी पहली स्टैंडअप मीटिंग से दिन की शुरुआत हो रही है। फिर बूथ अध्यक्ष से जिलाध्यक्ष और प्रत्याशी से लेकर प्रदेश पदाधिकारी तक की डे-टू-डे मॉनिटरिंग होती है। सैंथिल कहते हैं- कार्यकर्ताओं को काबिलियत के अनुसार काम का बंटवारा किया जा रहा है।

इसके जयपुर के कांग्रेस के हॉस्पिटल मार्ग स्थित वॉर रुम में CM अशोक गहलोत जैसे अनुभवी रणनीतिकारों की व्यूह रचना को तकनीक के जरिए अमली जामा पहनाया जाता है। CM गहलोत समय मिलते ही देर रात यहाँ आते हैं और अपने पास उपलब्ध फील्ड रिपोर्ट लेकर वॉर रुम की टीम की मद्दद से कांग्रेस प्रत्याशियों से वन टू वन चर्चा करते हैं।     

रिसर्च टीम : डेटा कलेक्शन व प्लानिंग पर काम कर रही रिसर्च टीम बड़े नेताओं को भाषण-दौरों के लिए डेटा व प्लानिंग देने के साथ कार्यकर्ताओं को फीड भी कर रही है। जैसे- हर गांव की महिलाओं से छोटी सामूहिक मीटिंग, अनौपचारिक बातचीत कर राय जानना, डेटा बनाना। वैसे तो बड़े नेताओं के भाषण का एजेंडा दिल्ली से ही तैयार होता है पर कई बार वॉर रुम की रीसर्च टीम भी अपना स्थानीय इनपुट देती है। 

  • कंटिंजेंसी डिविजन : हर दिन के काम को मैनेज करना इसी के जिम्मे है। यही टीम देखती है कि कैसे सोशल मीडिया पर वर्किंग होनी है, क्या-क्या कंटेंट देना है आदि। रुटीन से ‘रिवर्स मोड’ पर यह टीम उल्टे सोशल मीडिया टीम को ग्राउंड फीडबैक देकर कंटेंट क्रिएशन में अहम रोल अदा करती है। 
  • बूथ मैनेजमेंट : बूथ के दायित्व, कैसे संपर्क करना है, बूथ कार्यकर्ता व कमेटी की वर्किंग आदि की रणनीति का जिम्मा। हर सप्ताह की गतिविधि को मैनेज करना। यह भाजपा के ‘पन्ना प्रमुख’ का आधुनिक और ‘रिमोट वर्जन’ है। 
  • लीगल सेल: 10-12 एक्सपर्ट की टीम। शिकायतों का निपटारा करना। विरोधी पार्टियों के आचार संहिता उल्लंघन मामलों पर नजर रखना।

भाजपा वाॅररूम: नेताओं के टूर, मीटिंग और जवाबी कार्रवाई के जिम्मेदार  

भाजपा का वॉर रूम सिविल लाइंस में राजभवन के सामने सांसद दीयाकुमारी के बंगले में संचालित है। काम कुल 200 लोगों की अलग-अलग टीमों में बांटा हुआ है। नेताओं की प्रेस वार्ता, भोजन आदि के लिए अलग-अलग जगह तय हैं। जयपुर या राजस्थान में कहां, कौन नेता किस न्यूज़ चैनल या अखबार के संवाददाता से बात करेगा, यह दिल्ली की टीम के निर्देश पर यहीं से कोऑर्डिनेट होता है।  बाद में यह लाइव या रिकार्डेड कैसे प्रसारित हुआ या अखबार में कितना और कैसे छपा इसकी भी मॉनिटरिंग होती है।  प्रत्याशियों की सभा, किन बड़े नेताओं को बुलाना है सभी यहीं से तय हो रहा है। यहां पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा व 12 केंद्रीय मंत्री जायजा ले चुके हैं। 

मीडिया सेल : दिनभर नेताओं की पीसी, कांग्रेस संगठन व सरकार पर पलटवार सहित कई काम यहां तय हाेते हैं। भाजपा में जयपुर में यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रमोद वशिष्ठ सँभालते हैं। उनके अधीन एक टीम उनका सहयोग करती है। वशिष्ठ का एक मोबाइल नंबर भाजपा के सभी शीर्ष नेताओं के पास फीड है।  

साेशल मीडिया सेल : पार्टी के पक्ष में माहाैल बनाना, कांग्रेस काे कटघरे में खड़ा करना जैसी रणनीति। हर जिले में कार्यरत पार्टी की साेशल मीडिया टीम की यहां से मॉनि​टरिंग। कांग्रेस नेताओं के भाषण, पोस्ट, इवेंट्स को कुछ ही सेकंड में काउंटर की वर्किंग। यही है वह शक्तिशाली ‘मोदी सेना’ जिससे लड़ना सीखने में कांग्रेस को समय लगा। इस सेल की देश भर की कमान तो दिल्ली में बैठे अमित मालवीय के हाथों में है लेकिन उनके अधीन एक बहुत बड़ी टीम का नेटवर्क है। यह टीम मुख्य रुप से दो भागों में बंटी हुई है – ऑफिशियल और सरोगेट। ऑफशियल टीम भाजपा के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल काम में लेती है जबकि सरोगेट टीम विभिन्न नामों और बिना नाम के अपना कंटेंट सोशल मीडिया पर वायरल करवाती है।  

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