Saturday, October 12, 2024

राजस्थान के विधानसभा चुनाव में चुनौती की घड़ी के आस-पास: टिकट की दुनिया में बागी, बगावत और बाजी

Must read

राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनावों में चुनौती की घड़ी बढ़ रही है, जिसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अग्रणी दल हैं। चुनावी मैदान में हर किसी का ध्यान टिकट वितरण की ओर है। पार्टियों के नेता और प्रमुख इस बड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर गहरे विचार में हैं क्योंकि सही उम्मीदवारों का चयन ही चुनाव जीतने की कुंजी हो सकता है।

विधानसभा क्षेत्रों में दावेदारों की भीड़ बढ़ती जा रही है। हर दिन बड़ी संख्या में दावेदार आवेदन देने भाजपा व कांग्रेस के मुख्यालय पहुंच रहे हैं। आवेदन को रजिस्टर्ड कर रिसीव भी कराया जा सकता है। साथ ही वरिष्ठ नेताओं को भी दिया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक धौलपुर और भरतपुर की 11 सीटों से 271 से ज्यादा आवेदन विभिन्न स्तरों पर आ चुके हैं। दोनों जिलों की सीटों के लिए अब भी आवेदन का सिलसिला बंद नहीं हुआ है। प्रदेश पदाधिकारी बताते हैं कि हर दिन ही आवेदन आ रहे हैं। आवेदक अपने-अपने हिसाब से नेताओं को आवेदन देते हैं।

चुनावी मैदान में भाजपा और कांग्रेस में दावेदारों की भीड़ उमड़ रही है। सर्वे-फीडबैक और मैदान में ताल ठोकने वाले मजबूत दावेदारों के अलावा दर्जनों ऐसे दावेदार भी खड़े हो गए हैं, जो आवेदन में अपने काम गिना रहे हैं। कोई समाजसेवा तो कोई राजनीतिक कामों को बता रहा है। धार्मिक आयोजन और विरोध-प्रदर्शनों तक के काम प्रोफाइल में लेकर दावेदार घूम रहे हैं

कुछ दावेदारों के अनोखे दावे:

  1. हिंदू-मुस्लिम एकता: एक भाजपा दावेदार ने अपने बायोडाटा में लिखा है कि उसने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। उसने साफ कर दिया है कि टिकट जाए या न जाए, हिंदू प्रत्याशी इस चुनाव में जीत सकता है।
  2. सामाजिक सेवा: एक दावेदार ने ब्लड डोनेशन कैम्प आयोजित किया है और उसने अन्य महापुरुषों के नाम लिखकर उनकी जयंती और पुण्यतिथि मनाने का भी उल्लेख किया है।
  3. धार्मिक कार्यक्रम: कुछ दावेदारों ने भंडारे, भागवत कथा, रामकथा, और अन्य धार्मिक आयोजनों की लंबी-चौड़ी लिस्ट अपने आवेदन में संलग्न की है।
  4. सामाजिक आंदोलन: कुछ दावेदारों ने अपने आवेदन में लिखा है कि वह लोगों के हित में धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए हैं और पुलिस की लाठियां भी खाई हैं।
  5. पारिवारिक पृष्ठभूमि: कुछ दावेदारों ने अपने बायोडाटा में अपने परिवार के साथ किए गए कार्यों का उल्लेख किया है।
  6. राजनीतिक कार्यक्रम: कुछ दावेदारों ने राजनीतिक आंदोलन, पदयात्रा, कोरोना काल में समाजसेवा, मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यक्रम, मन की बात कार्यक्रम, गोसेवा, गदर फिल्म, राष्ट्रभक्ति को बढ़ावा देने वाले कार्यों का उल्लेख किया है।

चुनावी दंगल की तरफ देखते हुए:

चुनावी मैदान में भाजपा और कांग्रेस की ओर से उम्मीदवारों का चयन बड़ी सतर्कता से किया जा रहा है। यह नहीं सिर्फ उम्मीदवारों के व्यक्तिगत दावे देखे जा रहे हैं, बल्कि उनके सामराज्य में किए गए कार्यों और सेवाओं की गहरी जाँच भी की जा रही है। विश्वासनीयता, संवेदनशीलता, और उम्मीदवार के नेतृत्व की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण हैं।

नतीजा:

चुनावी मैदान में इस बार दावेदारों की भीड़ बहुत अधिक है। यह न केवल उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि जनता के लिए भी क्योंकि वह उम्मीदवारों के माध्यम से अपने राज्य और देश की भविष्य निर्धारित करेंगे। इसलिए, जनता को भी ध्यान से सोच-समझकर अपनी जिम्मेदारी का निर्णय लेना चाहिए क्योंकि उनकी गतिविधियों से ही हमारे समाज का निर्माण होगा।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article