मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वर्ष 2030 तक राजस्थान को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए राजस्थान मिशन-2030 की परिकल्पना के तहत पेयजल क्षेत्र में बेहतर कार्य कर राजस्थान को अग्रणी राज्य बनाने को लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई समीक्षा बैठक में अभियंताओं, संवेदकों एवं अन्य हितधारकों के साथ चर्चा हुई।
बैठक के दौरान मिशन के लक्ष्यों, विभागीय परिकल्पनाओं आदि के बारे में जिलों में होने वाली बैठकों में हितधारकों के साथ चर्चा कर सुझाव प्राप्त करने के निर्देश दिए गए। साथ ही, ग्राम पंचायत स्तर तक मिशन-2030 को लेकर हितधारकों को सेंसिटाइज करने के संबंध में निर्देश दिए। जिलों में मिशन-2030 के तहत विजन दस्तावेज तैयार करने के लिए तकनीकी संस्थानों, अनुसंधान केन्द्रों के प्रतिनिधि, भूजल वैज्ञानिक एवं रसायनज्ञ, पेयजल से जुड़े विषय विशेषज्ञ, उद्यमी संगठनों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा। हितधारकों के साथ बैठकें आयोजित की जाएंगी और उनके सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। सुझावों को लेकर जो विजन डॉक्यूमेंट बनेगा उसे विभिन्न स्तरों पर मंथन के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीएचईडी ने कहा कि प्रत्येक गांव में बनी ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के सदस्यों, कॉन्ट्रेक्टर फर्मों के प्रतिनिधियों, जिला स्तर पर नियोजित सहयोगी संस्थाओं, स्थानीय जन प्रतिनिधियों, विषय विशेषज्ञों सहित अन्य को हितधारक मानकर विचार विमर्श वाली बैठकों में बुलाया जाए ताकि उनके सुझावों को मिशन 2030 में शामिल किया जा सके। उन्होंने विलेज एक्शन प्लान, डिस्ट्रिक्ट एक्शन प्लान आदि पर चर्चा कर मिशन 2030 के लिए डॉक्यूमेंट तैयार करने में उपयोगी बातों को शामिल करने के निर्देश दिए। साथ ही, मिशन-2030 को लेकर जिला स्तर पर भी प्रोग्राम मॉनिटरिंग यूनिट (पीएमयू) गठित करने के निर्देश दिए।
एसीएस, पीएचईडी ने विभिन्न वृहद परियोजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की और कॉन्ट्रेक्टर फर्मों के प्रतिनिधियों को 30 सितम्बर तक कार्यों को पूरा करने के निर्देश दिए।