दिव्य गौड़। राजस्थान में बीजेपी सरकार का मंत्रिमंडल बनने की बातें कई दिनों से आ रहीं हैं और शायद अगले एक दो दिनों तक आती भी रहेंगी, लेकिन मंत्रिमंडल कब तक बनेगा ये किसी को पता नहीं। सीएम भजनलाल शर्मा अभी तक दिल्ली से आने वाले लिफाफे के इंतजार में हैं और आलाकमान के इशारे का इंतजार करते दिखाई दे रहे है।
राजस्थान में बीजेपी के सरकार बनने के 23 दिन बीत जाने के बाद भी सीएम भजनलाल शर्मा अपने मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अल्बर्ट हॉल पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री के तौर पर दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा ने शपथ ले ली है, लेकिन अभी तक इन्हें भी उनके विभागों का बंटवारा नहीं किया गया है। सरकारी भाषा में कई बार इस तरह के वाक्या को “मिनिस्टर विदाउट पोर्टफोलियो” कहा जाता है, और शायद अभी उनकी हालत भी कुछ ऐसी ही है कि यह मिनिस्टर तो है लेकिन उनके पास में अभी कोई पोर्टफोलियो नहीं है। इन सब के बीच रोजाना राजनीतिक विश्लेषक, चिंतक, पत्रकार और तमाम तरह की राजनीतिक खबरों में रुचि रखने वाले स्वयं घोषित एक्सपर्ट रोजाना नई नई तिथियों का ऐलान करते हैं। यहां तक की राज्यपाल से मिलने आए व्यक्तियों से ही कयास लगाने लगते हैं कि वह व्यक्ति मंत्रिमंडल गठन के संबंध में ही राज्यपाल से मिला होगा और राज भवन में तैयारियां तेज हो रही है ऐसी खबरें फैलाकर खबरों के बीच एक ऐसा माहौल बना देते हैं। जिससे यह लगता है कि मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होने वाला है, लेकिन सच्चाई यही है कि मंत्रिमंडल अभी 2 दिन तक नहीं होने वाला।
राजस्थान में बीजेपी सरकार का मंत्रिमंडल बुधवार को गठित होने की बातें सामने आ रही थी ऐसा भी बताया जा रहा था कि राजभवन में मंत्रिमंडल गठन को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। सचिवालय में कैबिनेट डिपार्टमेंट की हलचल तेज हो गई है, लेकिन अभी तक केंद्र की ओर से किसी तरह का कोई लिफाफा और इशारा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को नहीं मिला है। मौजूदा हालात की बात करें तो मंत्रिमंडल गठन में अभी एक-दो दिन और लगा सकते हैं। फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की वजह को साफ नहीं किया गया है। लेकिन यह तय है कि मंत्रिमंडल विस्तार गुरुवार या शुक्रवार तक टाल दिया गया है। इस संबंध में पार्टी के शीर्ष नेता भी बोलने से बचते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनका कहना यही है कि सब कुछ ऊपर से तय होना है, हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है।
वैसे बात की जाए मंत्रिमंडल विस्तार में लेट होने की तो इसका एक वजह विधायकों की आपसी गुटबाज़ी भी हो सकती है। ब्राह्मण राजपूत और एससी वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के बाद अब जाट, मीणा, गुर्जर भी अपने-अपने वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के लिए हर संभव दावपेच खेल रहे हैं। उधर मंत्रिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की समर्थकों के नाम पर भी सहमति नहीं बनती आ रही है।