राजस्थान विधानसभा में सोमवार काे विपक्ष के सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर जोरदार हंगामा किया। सदन में सोमवार को प्रश्नकाल, शून्यकाल और उसके बाद भी विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया। शून्यकाल के बाद जब बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सदस्य गोविंद सिंह डोटासरा बोल रहे थे तब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की डोटासरा पर की गई टिप्पणी को लेकर जोरदार हंगामा हुआ।
डोटासरा जब बोल रहे थे तो आखिर में टोकते हुए दिलावर ने कहा कि डोटासराजी आप तो जेल जाने की तैयारी करो। इस पर विपक्ष के सदस्यों के एतराज जताते हुए बोलने लगने से सदन में शोरगुल और हंगामा हुआ। इस पर जूली ने कहा कि मंत्री कानून से ऊपर है क्या, मंत्री के पास कहां जेल भेजने के अधिकार हो गए। हंगामा बढ़ते देख अध्यक्ष ने शांत होने के लिए कहा लेकिन विपक्ष शांत नहीं हुआ। इस दौरान संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल भी बोले। बाद में देवनानी ने कहा कि जो भी असंसदीय शब्द हैं, उन्हें हटा दिया जाएगा। इसके बाद मामला शांत हो गया।
इससे पहले प्रश्नकाल के समाप्त होने से कुछ समय पहले जब पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस सदस्य शांति धारीवाल के प्रदेश में पन्नाधाय जीवन अमृत योजना के बारे में किए सवाल एवं पूरक प्रश्न का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने जवाब दिया लेकिन धारीवाल उत्तर से संतुष्ट नहीं हुए और उन्हांने कहा कि मंत्री यह बताएं कि योजना में गत वर्ष कितनी राशि खर्च हुई हैं, जिसका जवाब नहीं मिला हैं। इस पर विपक्ष के अन्य सदस्य भी खड़े हो गए और जवाब दो, जवाब दो नारेबाजी शुरु कर दी। जिससे सदन में हंगामा हुआ। दो मिनट बाद प्रश्नकाल समाप्त होने पर हंगामा शांत हो गया।
इसके बाद शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव के तहत बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बजट की योजनाओं का मुद्दा उठाया और प्रदेश की भजनलाल सरकार पर कांग्रेस के विधायकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बाकायदा एक पत्र जारी कर जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव मांगे गए, जनता ने जिन्हें नकार दिया और जो चुनाव हार गए उनके प्रस्ताव शामिल कर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार सड़क कार्यों का बजट बनाने से पहले राज्य सरकार हर क्षेत्र के स्थानीय प्रतिनिधि से सुझाव मांगती है और फिर जरूरत के अनुसार उन्हें बजट में शामिल करती है लेकिन भजनलाल सरकार ने कांग्रेस विधायकों से कोई सुझाव नहीं मांगे। उनकी बजाय उसी क्षेत्र के हारे हुए भाजपा प्रत्याशियों से सुझाव लेकर बजट की योजनाएं बनाई गईं। ऐसी पहली बार हुआ है और यह नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि बजट भी 10 करोड रुपए से घटाकर पांच करोड रुपए कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जो चुनाव हार गए हैं उनसे विकास कार्यों की राय ली जा रही है ऐसे में चुने हुए जनप्रतिनिधि कहां जाएंगे।
जूली बोले विधानसभा का सबसे बड़ा सदस्य विधायक होता है जिसे स्थानीय जनता चुनती है। लेकिन पहली बार विधायक की सलाह न लेकर एक हारे हुए प्रत्याशी की सलाह से सड़क निर्माण की बजट योजनाएं बनाई गई हैं। यह सरकार क्या एक हारे हुए नेता को जनप्रतिनिधि मानती है। उन्होंने कहा कि इस सरकार को पाबंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा वह इस मामले में अध्यक्ष का संरक्षण चाहते हैं कि वे इस पर जवाब मांगे और इन योजनाओं को पास करने से पहले मतदान कराएं। इस दौरान जूली ने सरकार से पूछा कि सरकार बजट योजनाओं पर मतदान कराने से क्यों डर रही है। अध्यक्ष जी आप मतदान क्यों नहीं करवा रहे हैं।
सोमवार को भी भादरा चुनाव और शिक्षा मंत्री दिलावर के डीएनए के बयान की गूंज सदन में गूंजती रही। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और विपक्ष ने भादरा चुनाव को लेकर दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी सरकार के अस्पष्ट रुख के प्रति जमकर नारेबाजी की। विपक्ष ने इस पूरे मामले में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह संविधान खत्म करने की साजिश है, इस दौरान सदन में न्याय दो – न्याय दो के नारे गूंजते रहे, इधर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के आदिवासियों के खिलाफ दिए गए बयान के बाद अभी तक माफी नहीं मांगे जाने से भी बिफरा विपक्ष सदन में हंगामा करता दिखाई दिया।