Monday, December 23, 2024

रूस चीन संबंधों का सुदृढ़ीकरण वैश्विक शांति के लिए है सबसे ज्यादा जरूरी

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 मुनेश त्यागी

 रूस और चीन का सहयोग और आपसी गठबंधन किसी भी देश के खिलाफ नहीं है। इन दोनों देशों का यह सहयोगी गठबंधन पूरी दुनिया के स्तर पर महत्वपूर्ण एवं शांतिकारक सिद्ध होने जा रहा है। इन दोनों देशों का यह सहयोगी मिलन उपयोगिता के सिद्धांतों की रक्षा करेगा और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों और दुनिया के जनतांत्रिक मूल्यों पर आधारित दुनिया की स्थापना करने में मददगार और बेहद कारगर सिद्ध होने जा रहा है।
  इन दोनों देशों का यह आपसी सहयोग, वैश्विक तनाव को कम करने में मददगार साबित होगा। यह किसी भी देश के लिए खतरा पैदा करने वाला नहीं है, बल्कि यह विश्व शांति के प्रयासों को गति प्रदान करेगा। अमेरिका और नाटो देश इस पर मनमाना और अवांछित संदेह पैदा कर रहे हैं। अमेरिका के हेरिटेज फाउंडेशन के फैलो माइकेल पिल्सबरी ने रूस और चीन की बढ़ती निकटता और सहयोगी गठबंधन को अमेरिकी राष्ट्रपति बायडेन प्रशासन की "सबसे बड़ी गलती" करार दिया है।
 आज दुनिया के स्तर पर दुनिया के कब्जाने वाले साम्राज्यवादी मुल्कों जैसे अमेरिका और नाटो के प्रमुख देश,,,, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और इटली, ने विश्व के अनेक देशों की जनता का जीना दूभर कर दिया है। उनकी जनविरोधी नीतियों के कारण, उनके मुनाफों का साम्राज्य नकारात्मक स्तर तक पहुंच गया है, इसलिए उनके अंदर बेचैनी पैदा हो गई है और वे दुनिया के देशों पर कब्जा करने के लिए जैसे पूरी दुनिया में युद्ध छेड़ना चाहते हैं।
 आज ये ताकतें समाजवादी देशों और अपनी स्वतंत्र नीतियों पर चलने वाले देशों के सामने अस्वीकार्य शर्तें थोप रहे हैं। ये तमाम साम्राज्यवादी ताकतें मिलजुल कर स्वतंत्र देशों की आजादी पर हमले कर रही हैं, उनकी सरकारों को पलट रही हैं, उनके आंतरिक मामलों में मनवाने और आपराधिक हस्तक्षेप कर रही हैं और अपनी वैश्विक लूट और मुनाफाखोरी को बरकरार रखने के लिए उनके प्राकृतिक संसाधनों पर पूर्ण कब्जा करना चाहती हैं। अपनी इन्हीं लुटेरी और मुनाफाखोर नीतियों को बढ़ाने के तहत एकजुट होकर पूरी दुनिया में युद्ध स्थितियां और तनाव पैदा कर रही हैं।
  इन वैश्विक लुटेरे साम्राज्यवादी मुल्कों की हस्तक्षेपकारी और आक्रामक युद्धोन्मादी नीतियों से परेशान होकर दुनिया के अनेक देश, अपने-अपने हिसाब से, अपने पड़ोसी देशों से सहयोगी गठबंधन बना रहे हैं, ताकि इन लुटेरी ताकतों की युद्धोन्मादी चालों से बचकर, वे सब अपने देश की जनता के हितों और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का पालन करके, अपने अपने देशों और दुनिया में अमन-चैन कायम कर सकें।
   वैसे भी अगर दो पड़ोसी देश अपनी जनता और देश के हित में और वैश्विक युद्धोन्मादी नीतियों से बचकर यदि कोई आपकी सहयोग या समझौता करते हैं तो इसमें किसी देश को क्या परेशानी हो सकती है और क्यों ही कोई परेशानी होनी चाहिए? यह तो हर एक स्वतंत्र मुल्क का संप्रभु अधिकार है कि वह चाहे जिस मुल्क से समझौता करें या गठबंधन बनाएं और अपनी जनता को समुचित विकास के मार्ग पर आगे ले जाए। इस प्रकार के गठबंधन दोनों देशों के बीच आपसी सम्मान, विश्वास, दोस्ती और आपसी सहयोग में बढ़ोतरी ही करेंगे।
   इन परिस्थितियों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आपसी मिलन और सहयोग पर, किसी भी देश की आपत्ति, किसी भी दिशा में स्वीकार्य नहीं हो सकती। आज हम देख रहे हैं कि अमेरिका और नाटो गठबंधन के मुल्क रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन की सकारात्मक भूमिका को लेकर खुश नहीं हैं और वे चीन को बिना किसी कारण निशाने पर ले रहे हैं, उस पर नाजायज दबाव बना रहे हैं और चीन पर रूस की मदद करने का आरोप लगा रहे हैं। नाटो और अमेरिका द्वारा भड़काये गए इस युद्ध में, चीन ने उनके रुख को बेबाक तरीके से पूरी तरह से नकार दिया है और उनके युद्धोन्माद को एकतरफा और गैरवाजिब यानी इल्लेजिटीमेट बताया है।
चीन ने इस युद्ध के लिए रूस को जिम्मेदार ठहरने से बिल्कुल स्पष्ट रूप से मना कर दिया है और इस युद्ध के लिए नाटो के विस्तार और अमेरिका की शीत-युद्ध मानसिकता को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिका और नाटो देशों के दबाव को चीन ने मानने से इनकार कर दिया है। अमेरिका और नाटो देशों की नीतियां मनमानी और एकतरफा हैं। 
  साम्राज्यवादी लुटेरे और प्रभुत्वकारी देशों का यह रवैया एकदम मनमाना, हस्तक्षेपकारी, युद्धोन्मादी और अंतरराष्ट्रीय कानून का और दुनिया की वैश्विक संस्था यूएनओ के सिद्धांतों के पूरी तरह से खिलाफ है और विश्व शांति के मूल्यों के बिलकुल विपरीत है। उनका यह रवैया किसी भी देश की संप्रभुता के खिलाफ, गैरजिम्मेदाराना और पूर्ण रूप से दिखावटी है। इसे किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
  पूरी दुनिया में दो देशों का आपसी सहयोग गठबंधन और निकटता एकदम जायज और सबसे ज्यादा जरूरी है। यदि दुनिया के समस्त मुल्क अपने सभी पड़ोसी मुल्कों से आपसी सहयोग, विश्वास और मित्रता कायम कर लें और अपने मतभेद और विवाद दूर कर लें, तो इससे उनकी जनता का सबसे ज्यादा कल्याण और वे सभी देश, विकास के मार्ग पर तेज गति से आगे बढ़ सकेंगे। ऐसा करने से पूरी दुनिया में शांति और भाईचारा कायम हो जाएगा।
  हमारा तो स्पष्ट तौर पर मानना है कि दो पड़ोसी मुल्कों को किसी भी दशा में, सबसे पहले अपने मतभेद दूर करने चाहिएं। इससे इन दोनों देशों और उनकी जनता का सबसे ज्यादा कल्याण होगा। वर्तमान में रूस और चीन का आपसी मिलन, सहयोग, दोस्ती और गठबंधन बहुत जरूरी है। यह विश्व शांति के लिए एक बहुत बड़ी पहल है। इस से पूरे एशिया महाद्वीप में अमन, शांति, स्थिरता और जन विकास की नीतियों को बढ़ावा मिलेगा।
  इस बहुत ही अहम आपसी सहयोग और गठबंधन से अमेरिका और नाटो के लुटेरे साम्राज्यवादी गठबंधन की वैश्विक-प्रभुत्व की मुहिम को बढ़ने से रोका जा सकेगा। इस गठबंधन से पूरी दुनिया में विश्व शांति कायम करने के अंतरराष्ट्रीय कानून की अहमियत बढ़ेगी और निष्प्रभावी कर दी गई यूएनओ की वैश्विक संस्था को स्थिरता, विश्वास और मजबूती मिलेगी और अमेरिका की एक-ध्रुवीय व्यवस्था को धराशाई करने की मुहिम को बहुत बल और बढ़ावा मिलेगा। रूस और चीन की दोस्ती और आपसी सहयोग पूरी तरह से एशिया और दुनिया के हित में है और इस वक्त की सबसे बड़ी मांग और जरूरत है। इसका तहेदिल से स्वागत है।

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