पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार की अध्यक्षता में गठित हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी ने कांग्रेस राज के दौरान बनाए गए 17 जिलों और तीन संभागों का विस्तृत रिव्यू किया और अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:कमेटी ने जिलों की जरूरत, मापदंडों पर खरा उतरने, प्रशासनिक आवश्यकता और वित्तीय भार का गहराई से विश्लेषण किया।
पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार की अध्यक्षता में गठित हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी ने कई छोटे जिलों को मापदंडों के अनुसार उचित नहीं पाया गया है। कुछ जिलों को प्रशासनिक जरूरत और दूरी के हिसाब से उपयुक्त नहीं माना गया।
पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार की अध्यक्षता में गठित हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी ने सीधे तौर पर जिलों को खत्म करने की सिफारिश नहीं की गई है, लेकिन मापदंडों पर खरा नहीं उतरने का उल्लेख किया गया है।पंवार की अध्यक्षता में गठित हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी ने जिलों का दौरा किया और 45 विधायकों, 5 सांसदों, 12 जिला प्रमुखों, और 25 प्रधानों सहित विभिन्न स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सुझाव प्राप्त किए।
भाजपा विधायकों ने गहलोत राज के कुछ छोटे जिलों की बाउंड्री पर आपत्ति जताई और नए इलाके जोड़ने या हटाने की सिफारिश की है।अब डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा करेगी। इस बैठक में जिलों के भविष्य पर निर्णय लिया जाएगा।
वर्तमान में जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने जिले, तहसील और गांवों की बाउंड्री में किसी भी बदलाव पर रोक लगा दी है। इस रोक के कारण, कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिशें तब तक लागू नहीं की जा सकतीं जब तक जनगणना रजिस्ट्रार जनरल से छूट नहीं मिलती।
कैबिनेट सब कमेटी अगले सप्ताह रिपोर्ट की समीक्षा करेगी और जिलों को खत्म करने या बरकरार रखने पर निर्णय लेगी।रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने से पहले जनगणना रजिस्ट्रार जनरल से अनुमति प्राप्त करनी होगी। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, राज्य सरकार और संबंधित विभागों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सभी सुझावों और रिपोर्टों पर गहराई से विचार करें और इस बात को सुनिश्चित करें कि निर्णय सार्वजनिक हित में हो।