Monday, October 14, 2024

लोकसभा चुनावों के बाद सामने आ जाएगी गहलोत और पहले की आपसी फुट सामने

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लोकसभा सभा चुनावों के परिणाम का इंतजार बड़ी बेसब्री से किया जा रहा है । लेकिन इन परिणामों के साथ साथ सभी की निगाहें इस बात पर भी टिकी हुई है कि आखिर चार जून के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच क्या होने वाला है ।क्या दोनों नेताओं के बीच चल आ रही जुबानी जंग अब खत्म हो जाएगी या फिर दोनो नेताओं में फिर से एक को ही तवज्जो मिलेगी । अभी हाल में सचिन पायलट ने अपनी व्यथा को जाहिर करते हुये कहा था कि जालौर लोकसभा सीट पर उन्हे वैभव गहलोत के चुनाव प्रचार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था । इस बात का जवाब अशोक गहलोत ने अमेठी संसदीय क्षेत्र में एक इंटरव्यू के दौरान दिया और उन्होने सचिन पायलट के बयान को बेवकूफी भरा बयान बता दिया . गहलोत ने कहा कि किसी भी नेता को ऐसे बयान देने से बचना चाहिये । इस तरह की बातों को अक्सर मुद्दा बना दिया जाता है ।
गहलोत के इस तरह के बयान के बाद राजस्थान की राजनीति में ये बात फिर चर्चा उठने लगी है कि क्या दोनों नेताओं के बीच फिर से टकराव शुरू हो गया है
अशोक गहलोत बेटे की लोकसभा सीट पर प्रचार में व्यस्त थे
अगले महीने 4 जून को लोकसभा चुना के रिजल्ट घोषित हो जाएंगे. ये चुनाव परिणाम कांग्रेस की राजनीति पर असर डाल सकते हैं.। एक तरफ जहां अशोक गहलोत बेटे की लोकसभा सीट पर प्रचार में व्यस्त थे. वहीं, दूसरी तरफ पायलट ने भी समर्थित नेताओं के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोक दी.
पायलट 14 राज्यों में 100 से अधिक सभाएं कर चुके हैं
सचिन पायलट ने इन चुनावो में टोंक-सवाई माधोपुर सहित कई सीटों पर जमकर धुआंधार प्रचार किया है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पायलट के इस तरह के प्रचार के चलते इन सीटों पर बीजेपी बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है. ऐसे में इस बार अगर इन सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई तो पायलट की ताकत बढ़ेगी । इसके साथ ही सचिन पायलट राजस्थान के बाद लोकसभा चुनाव में 14 राज्यों में 100 से अधिक सभाएं कर चुके हैं. यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी में मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बाद सबसे अधिक डिमांड सचिन पायलट की है. आने वाले दिनों में वह पंजाब, हिमाचल और सातवें चरण के बाकी राज्यों में प्रचार करने जाएंगे.
गहलोत के बेटे की हार हुई तो सियासी तूफान आ सकता है
गहलोत ने अपने बेटे वैभव के प्रचार प्रसार में जन झोंक दी थी । लेकिन जानकारों का कहना है कि जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में अगर इस सीट पर अशोक गहलोत के बेटे की हार होती है तो एक बड़ा सियासी तूफान आ सकता है. हालांकि यहां इस बात पर भी सब कुछ निर्भर करेगा की राजस्थान में कांग्रेस कितनी सीटें जीतती हैं.साथ ही पायलट समर्थित प्रत्याशियों के संसदीय क्षेत्र में क्या परिणाम रहता है ?
राजनीतिक एक्सपर्ट्स का दावा है कि इस बार बीजेपी की सीटों में कटौती हो सकती है। खुद भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाला केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इस बात को स्वीकार चुके हैं। कि इस बार भाजपा राजस्थान में हैट्रीक लगाने में नाकामयाब हो सकती है । वहीं इससे एक कदम आगे रहते हुए कांग्रेस नेता 7 से 10 सीटों का दावा कर रहे हैं । लेकिन यहां 4 जून के परिणाम ही बताएंगे कि क्या कांग्रेस इतने सीट जीत भी पाएगी या नहीं औऱ अगर जीत जाती है तो वो सीटों कौन सी होती है जिन पर गहलोत औऱ पायलट ने प्रचार किया था । यानी कि जिस सीट पर जिस नेता ने जीत दिलाई उसे ही क्या राजस्थान में तवज्जो मिलेगी

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