Monday, December 30, 2024

विकास के मज़बूत दावों में प्रशासन की पोलमपोल, सड़के बेहाल,जनता परेशान क्या करे!

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बदलते वक्त के साथ हम दावा कर रहे है कि भारत की तेजी से बदल रहा है…और विकसित होने के करीब पहुंच रहा है …लेकिन क्या हकिकत में ऐसा है …
क्या सच में जो दावे किये जा रहे वैसी तस्वीर आज भारत की है …अगर इन तस्वीरों को देखा जाए तो ये दावे खोखले हो जाएगे ….और यहां देश की वो तस्वीर सामने आ जाएगी ..जिसे इन खोखले दावों के पीछे छिपाया जा रहा है ..ये तस्वीरे है एक राष्ट्रीय राजमार्ग की जो दो प्रदेशों को आपस में जोड़ते हुए भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक जोड़ता है। ….यानी की ये इस सड़क की काफी ज्यादा अहमित है …जहां व्यापार से लेकर बहुत से सी चीजों का परिवहन यहां से किया जाता है …

Nh44 Agra Bombay national haiways…जो राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बीच में से होकर गुजरता है जिसके सड़क की हालत खस्ता है ..जिसके हालत बद से बदतर है ….कहने को तो ये नेशनल हाईवे कहलाता है लेकिन इसे देखने के बाद गावों की सड़के भी अच्छी लगती हैं। इन राजमार्ग पर सड़कों पर गहरे गड्डे है जो गाड़ियों के पहिये की रीमों के साथ साथ सवारी की भी कमर तोड़ देने में पूरे सक्षम हैं…. लेकिन यहां हाईवे बनाने और मेंटेनेंस करने वालों के कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता उन्हें तो बस पैसे जुगडाने से फ़ुरसत नहीं मिलती…यहां कई टोल है जिनकी दरें भी काफी ज्यादा है लेकिन उसके बावजूद भी इस पूरे मार्गे पर मेंटिनेस के नाम पर कुछ नहीं है … वही अधिकारियों की बात करे तो इन्हें देखने का टाइम ही नहीं क्योंकि वे ख़ुद भ्रष्टाचार में शामिल है। कलेक्टर हो या अन्य बड़ा अधिकारी सिर्फ़ अपनी लिपापोथी करके आ जाते हैं। जनता को सुविधाओं के नाम पर भारी भरकम लूट लूटने का काम चल रही हैं। लेकिन रोकने वाला कोई नहीं , तस्वीरों में आप देख सकते है कि यहां के हालात कितने बदतर है …इन्हे देखने के बाद कैसे भारत की तस्वीर हमारे ज़हन में आती हैं।

आगरा बॉम्बे नेशनल हाईवे 44 की इस पर धौलपुर शहर में पुलिया के दोनों तरफ़ सर्विस लेन पर आये जाम की स्थिति बनी रहती हैं ग़लत दिशा से आने वाले वाहनों और ठेले,रेढ़ियों के कारण यातायात बाधित रहता हैं। सर्विस रोड़ के दोनों तरफ़ सर्विस लेन पर पानी इकट्ठा हो जाता हैं जिससे भी यहाँ के निवासियों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता हैं साथ ही पानी के इकट्ठे होने से मच्छरों और मौसमी बीमारियों के होने का ख़तरा भी बढ़ जाता हैं जिसको लेकर भी स्वास्थ्य विभाग कोई सुध लेने को तैयार नहीं। यहाँ की सड़कें ख़राब है रोड़ों पर लंबे गड्ढे हैं जिसके कारण रोड क्षतिग्रस्त हैं। यहाँ जाम की स्थिति से हर कोई परेशान हैं है और समाधान कोई निकालना नहीं चाह रहा। सरकारी कर्मचारी अपनी नाम की ड्यूटी पूरी करके राज के धन का लाभ ले रहे रहे हैं।

यहाँ लगने वाले ठेले और रेढ़ियों की वजह से लंबा जाम और ट्रैफ़िक बिगड़ना आम बात हैं। इन ठेलों की वजह से कई बार लंबे लंबे जाम की वजह बन जाता हैं और यहाँ के ट्रैफिक कर्मी को इन सबसे कोई लेना देना नहीं होता। सर्विस लेन में दोनों तरफ़ ग़लत दिशा से दूसरे वाहनों की आवाजाही से यातायात बाधित हो जाता हैं। धौलपुर शहर से आगे इसी रोड़ पर मनिया रोड़ में भी भी इसी तरह के हालात है यहाँ सडक़ों पर गहरे गड्डे और आये फिन पानी भरने की समस्या आना बात हैं।इस सड़क पर वाहन चलाना ऊबड़खाबड़ सड़क पर वाहन चलाने के जैसा ही हैं इस सड़क पर मरम्मतीकरण पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही और ना ही पेच वर्क पर ध्यान दिया जा रहा हैं। इन सड़कों पर वाहन चलाना यहाँ के निवासियों की मजबूरी है।साथ ही आवारा पशुओं के साथ साथ पानी भरने की से आम लोग ख़ासा परेशान है।

धौलपुर रोड पर भरतपुर से उचा नागला सरैंडी रोड की हालत देखने का ज़िला प्रशासन को समय ही नहीं है। इस हालत का ज़िम्मेदार ज़िला प्रशासन ख़ुद है ना तो समय पर मेंटेनेंस होती हैऔर नहीं पेच वर्क। खानुआ ब्रिज के ऊपर लंबे और गहरे गड्डे हैं जिस पर आये दिन कोई ना कोई दुर्घटना होती रहती हैं लेकिन लोकल धौलपुर ज़िला प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतज़ार कर रहा है कि बड़ी दुर्घटना होने के साथ ही ज़िला प्रशासन की नींद भी टूटेगी।

राष्ट्रीय राजमार्गे के ऐसे हालात है,,जहाँ बारिश में पानी का इकट्ठा होकर नदी नालों का रूप लेना आम बात हैं… जिसके कारण यहां लंबा जाम लगा रहता है जिससे यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है …बारिश के दिनों मे तो यहां 4 – 4 किमी तक जाम लग जाता है …लेकिन इस जाम की किसी को परवाह नहीं है ..दूसरी और यहां आवारा पशुओं का जामवडा रहता है जो यहां बड़े सड़क दुर्घटना को न्यौता दे रहे हैं ..यहां चारों तरफ गंदगी का आलम है ….लेकिन इन सबसे सरकार और प्रशासन को कोई लेना देना हैं सरकारी अफ़सर सिर्फ़ अपनी जेबें भरने में मस्त है और जनता इन असुविधाओं से त्रस्त हैं । अब यहां किसको कहे.. कौन सुनेगा.. ये सबसे बड़ी विडम्बना है …लेकिन जनता को इन सबका हिसाब तो देना ही होगा
भारत को विकसित राष्ट्र में शामिल करने और बड़े बड़े इंफ़्रास्ट्रक्चर खड़े करने की बातों से कुछ नहीं होगा। जो बना दिया उसे तो सम्भाल कर रख लेना ही बड़ी बात हैं।वहीं बदलते भारत की बदलती तस्वीर धरातल पर तभी सही मायनों में सही साबित होगी.. जब सभी जिम्मेदारीपूर्ण तरीक़े से अपना दायित्व निभाते हुए नज़र आयेंगे।

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