लोकसभा चुनावों के परिणाम के बाद राजस्थान में कांग्रेस के तीन इंडिया गठबंधन के पांच विधायक जीतकर संसद बन चुके हैं। नियमों के मुताबिक अब इन पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। इन चुनावों को लेकर राजस्थान की सियासत में हलचल मच गयी है…यहां आपकों बता दें कि इन पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी को विधानसभा चुनावों में चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इन पांच सीटें में से तीन पर कांग्रेस और एक पर आरएलपी, औऱ एक सीट पर बाप पार्टी ने कब्जा जमाया था .. अब इन सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे है ….ऐसे सवाल उठने लगे है कि क्या उपचुनाव में बीजेपी इन सीटों पर फिर से कमबैक कर पाएगी…या नहीं …वैसे राजनैतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इन पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत आसानी से मिलने वाली नहीं है …उसे काफी मशक्कत करनी होगी। तो चलिये जानते है कि आखिर कैसे ये पांच सीटे भाजपा के लिये चुनौती बने हुये है …
इन 5 सीटों पर होंगे उपचुनाव
जिन विधानसभा सीटों पर उचुनाव होने है वो सीटे है देवली उनियारा, झुंझुनू, दौसा, खींवसर और चौरासी .. इन लोकसभा चुनाव में देवली उनियारा विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा टोंक सांसद बन चुके हैं। वहीं झुंझुनू से कांग्रेस के बृजेंद्र ओला सांसद बने है ..इसी तरह , दौसा के मुरारी लाल मीणा, खींवसर से RLP के हनुमान बेनीवाल सासंद बने है …और चौरासी विधानसभा सीट के विधायक राजकुमार रोत भी चुनाव जीत कर सांसद बन चुके हैं।..इस पांचो सीटों पर विधायक रह चुके इन सांसदो ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवानानी को अपना विधायक पद से इस्तिफा भी सौंप दिया है .. अब ऐसी स्थिति में इन पांच विधानसभाओं पर उपचुनाव आयोजित कराये जायेगे ..वैसे अभी तक चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है …लेकिन नियम अनुसार अगले छह महीनों में इस चुनावो की ताऱीखो का ऐलान कभी भी हो सकता है ….
बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती
इन सीटो पर तारीखो का ऐलान कब होगा ये तो बाद की बात है लेकिन यहां सबसे बड़ी चर्चा इस बात की है कि क्या भाजपा इन सीटों अपने खाते कर पायेगी या नहीं ..जानकारों का कहना है कि भले ही प्रदेश में भाजपा की सरकार हो लेकिन उसके बावजूद भी इन सीटों पर भाजपा को कब्जा जमाने में कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा…क्योंकि इनमें तीन विधानसभा सीटें पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। ऐसे में बीजेपी के लिए उपचुनाव में सबसे बड़ी चुनौती है कि क्या बीजेपी कांग्रेस के कब्जे से यह तीनों सीटें निकाल पाएगी? खास बात है कि इन तीनों सीटों पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट का व्यापक प्रभाव है। इनमें देवली उनियारा, दौसा और झुंझुनू लोग विधानसभा सीट शामिल है। पिछले विधानसभा चुनाव में देवली से हरीश मीणा, दौसा से मुरारी लाल मीणा और झुंझुनू से बृजेंद्र ओला विधायक चुने गए। यह तीनों नेता सचिन पायलट के सबसे करीबी नेता हैं। ऐसे में यहां की सियासी समीकरणों और कांग्रेस की मजबूत पकड़ को देखते हुए फिर से उपचुनाव में बीजेपी के लिए जीत हासिल करना बड़ी चुनौती बन गई है।
बीजेपी आरएलपी से छीन पाएगी खींवसर सीट?
पांच सीटों में बची हुई दो सीटें है खींवसर और चौरासी विधानसभा सीट…यहां भी भाजपा के लिये चुनौती कम नहीं है …. क्योंकि खींवसर सीट पर आरएलपी का शुरू से दबदबा रहा है।यहां हनुमान बेनीवाल अपना कब्जा जमाये रखा है …. वर्ष 2018 में हनुमान बेनीवाल खींवसर विधायक चुने गए थे, लेकिन इसके एक साल बाद बेनीवाल 2019 में लोकसभा चुनाव लड़कर सांसद बने। उस समय हुए उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल ने अपने भाई नारायण बेनीवाल को अपनी जगह चुनाव लड़ाया। जिसने उपचुनाव में भी जीत हासिल की थी। हाल ही में विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर से खींवसर सीट पर ज्योति मिर्धा को हराया। अब उनके सांसद बनने के बाद खींवसर सीट फिर से खाली हो गई है।
एक सीट पर भारत आदिवासी पार्टी का दबदबा
यहां आखिरी बची सीट चौरासी की बात करें तो बांसवाड़ा जिले की चौरासी विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा से राजकुमार रोत विधायक के रूप में चुने गए लेकिन ही में उन्होंने भी बांसवाड़ा से लोकसबा चुनाव लड़ा। इसमें जीत हासिल करके पहली बार में ही राजकुमार रोत सांसद बन गये है .. चौरासी विधानसभा सीट पर भी राजकुमार रोत का गहरा प्रभाव और दबदबा रहा। ऐसी स्थिति में उपचुनाव में बीजेपी के लिए उनके कब्जे से यह सीट निकालना टेढ़ी खीर साबित होगा, क्योंकि डूंगरपुर बांसवाड़ा क्षेत्र में आदिवासी वोटर्स का बाहुल्य है। इस कारण यहां भारत आदिवासी पार्टी का काफी दबदबा है।
यानी की कुल मिलाकर भाजपा को जहां लोकसभा चुनावों में राजस्थान में 11 सीटें खोनी पड़ी वहीं विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में उसके जीत के आसार कम ही नजर आ रहे है …जानकारों का कहना है कि इन उपचुनावों के लिये भाजपा ने अभी से पूरी प्लानिंग शुरू कर दी है ….ऐसे देखना होगा कि क्या भाजपा इस बार कामयाब हो पाती है या नहीं