मयूर स्कूल के 43 वे वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि शिक्षा प्राप्त कर किसी प्रकार का अहंकार नहीं पालना चाहिए। उन्होंने संविधान की उद्देशिका का वाचन कराया तथा मूल कर्तव्यों की जानकारी दी।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि शिक्षा जीवन को गढ़ती है। वही समाज आगे बढ़ता है जो शिक्षा के क्षेत्रा में अग्रणी होता है। शिक्षा की नींव विद्यालय ही तैयार करते है। विद्यालय केवल शिक्षा प्रदान करने के केन्द्र ही नहीं होते बल्कि हमारे यहां इसे संस्कार निर्माण की पाठशाला से जाना गया है। शिक्षा समस्त प्रकार के बन्धनों से मुक्त कराती है। इसके बहुत गहरे अर्थ है। हम उदात्त जीवन मूल्यों की ओर प्रवृत्त हों। शिक्षा प्राप्त करने के बाद हम उसे पाने का अहंकार नहीं पाले। हम बहुत अच्छा करें परन्तु अपने किए पर कभी अभिमान नहीं करें।
मयूर स्कूल में 43 वें वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह का समापन
मयूर स्कूल के 43 वें वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह के समापन कार्यक्रम में स्कूल के लगभग 200 विद्यार्थियों द्वारा केसेंडो नामक ओर्केस्ट्रा की शानदार प्रस्तुति दी गई। जो राग किरवानी में सरगम, बंदिश, तराना एवं गत के माध्यम से बेला सियाओ और सासपुतिन गाने का केसियों आदि विभिन्न वाद्ययंत्रों ने तबला, सिता, हारमोनियम, गिटार, वायलिन, इम, कोंगा, केसियो आदि विभिन्न वाद्ययंत्रों के सुन्दर सामजस्य का परिचय देते हुए एक शानदार प्रस्तुति दी।
मयूर स्कूल कमेटी के चैयरमैन ठाकुर सिद्वार्थ सिंह रोहिट ने स्वागत भाषण में राज्यपाल कलराज मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचय करवाया। प्राचार्य संजय खाती ने वार्षिक प्रतिवेदन में कहा कि मयूर स्कूल एक अन्तर्राष्ट्रीय स्कूल की छवि में अपनी अमिट छाप छोड़ने को तैयार है। विद्यालय में आयोजित गतिविधियों ने यहां के विद्यार्थियों को विद्यालय के अतिरिक्त समाज, राष्ट्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक क्षेत्र में सफल प्रदर्शन के लिए तैयार किया है।
इस अवसर पर सम्भागीय आयुक्त सीआर मीणा, पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती लता मनोज कुमार, जिला कलक्टर डॉ. जिला कलक्टर डॉ. भारती दीक्षित एवं पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट उपस्थित रहे।