उत्तर भारत की प्रमुख श्री वैष्णव पीठ उत्तर तोदाद्रि श्री गलता जी गलतापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य जी महाराज के पावन सान्निध्य में 59 दिवसीय श्रावण महोत्सव मनाया जा रहा है।
श्री गलता पीठ के युवराज स्वामी राघवेन्द्र ने बताया कि गलतापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य जी महाराज की प्रेरणा एवं पावन सान्निध्य में मनाए जा रहे 59 दिवसीय श्रावण महोत्सव में भारी मात्रा में श्रद्धा व आस्था देखने को मिल रही है एवं नित्य प्रति हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन स्नान, दर्शन दान–पुण्य एवं गलतापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त करने पधार रहे हैं। इसी क्रम में श्रावण पुत्रदा एकादशी पर अल सुबह से ही भारी संख्या में श्रद्धालुजन श्री गलता पीठ में स्नान, दर्शन, दान–पुण्य, गलतापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य जी महाराज से आशीर्वाद हेतु पधार रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सावन माह में मनाए जा रहे श्रावण महोत्सव में श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं हैं एवं आगंतुकों से व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपील भी गई है।
महोत्सव के प्रारम्भ होने के पश्चात से ही श्री गलता जी में सावन में स्नान, दान पुण्य करने वाले श्रद्धालुओं के साथ साथ कावड़ियों एवं कावड़ यात्राओं का भी निरंतर आगमन बना हुआ है। इस हेतु साफ सफाई एवं सुरक्षा की विशेष व्यवस्थाएं की गईं हैं।
सुरक्षा के लिए स्थानीय गार्ड्स, पुलिस जाब्ता आदि की व्यवस्था है, सफाई के लिए स्थानीय कर्मचारियों की व्यवस्था है इसके अतिरिक्त नगर निगम से भी अपेक्षा रखी गई है।
श्री गलता पीठ में निरन्तर चलने वाले अन्नक्षेत्र में सावन माह में आने वाले श्रद्धालुओं एवं कावड़ियों के लिए 59 दिन तक निरंतर विशेष प्रसादी की व्यवस्था की गई है, जिसमें श्री प्रहलाद जी अग्रवाल द्वारा विशेष सहयोग किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त कावड़ियों एवं श्रद्धालुओं से व्यवस्था बनाए रखने एवं धर्म व श्री गलता पीठ की गरिमा को बनाए रखने के लिए नियमों– निर्देशों की पालना करने की अपील भी सभी से की गई है। पवित्र कुण्डों में रेलिंग से आगे ना जाएं, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके एवं सम्पूर्ण श्री गलता तीर्थ एवं यात्रा मार्गों पर समस्त श्रद्धालुजन एवं कावड़ियों से वचन, वाणी एवं व्यवहार से धर्ममयी आचरण रखने की भी अपील है। साफ सफाई में भी सभी से सहयोग की उपेक्षा है।
श्री गलता पीठ में श्रावण महोत्सव के अंतर्गत हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, झूला उत्सव, फूल बंगला, तुलसी जयंती आदि उत्सव बड़े हर्ष के साथ मनाए गए।