Saturday, October 12, 2024

साइबर स्पेस में प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा और प्राइवेसी सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं!- डॉ डीपी शर्मा

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जयपुर, 2024
इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर (आईईईई) डब्ल्यूआईई आईएसटीआईसी ट्यूनीशिया और आईईईई डब्ल्यूआईई मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन में बोलते हुए यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम से जुड़े डिजिटल डिप्लोमेट प्रो डॉ डीपी शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार हमारी निर्भरता इंटरनेट और उससे जुड़े सिस्टम्स पर बढ़ती जा रही है उससे भी तेज रफ्तार से साइबर क्राइम दिनों दिन बढ़ते चले जा रहे हैं और साइबर स्पेस में व्यक्तिगत प्राइवेसी खतरे के निशान से ऊपर छलकने लगी है। डॉ शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय एवं कॉलेज के युवाओं द्वारा रिसर्च विशेषज्ञों एवं तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर समाज एवं राष्ट्र में अवेयरनेस के साथ-साथ हर व्यक्ति को एथिकल स्टैंडर्ड्स एवं साइबर वार्निंग का ध्यान देने के लिए अभियान चलाने चाहिए ताकि साइबर क्राइम के बढ़ते हुए खतरे को सिर्फ सरकार पर ना छोड़कर सामाजिक स्तर पर भी हल किया जा सके।


अभी हाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्क्लेव में भारत ट्यूनीशिया एवं अमेरिका से विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने विभिन्न प्रकार के खतरों और उनसे बचाव के तंत्रों पर विस्तार से चर्चा की।
अमेरिका से बोलते हुए राहुल ढींगरा ने कहा कि नई-नई प्रणालियां तो विकसित हो रही हैं मगर उनसे भी बेहतर क्राइम करने के तरीके के भी बढ़ रहे हैं।
सूचना तकनीकी विशेषज्ञ आदित्य तिवारी ने कहा कि हम ऐसी दुनिया में आ चुके हैं जहां पर सब कुछ इंटरनेट से खतरों की दुनियां के बवंडर में घूम रहा है जिसमें अवेयरनेस की अति आवश्यक है।
इस इवेंट की आयोजक एवं चेयरपर्सन अनंता तनेज़ा ने बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय कांक्लेव छात्रों के बीच साइबर क्राइम और उससे जुड़े रोजगार एवं प्रोफेशन की जानकारी देने के लिए आयोजित किया गया है। मणिपाल यूनिवर्सिटी के डॉ गौतम कुमार ने कहा कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस की जिम्मेदारी बनती है कि वह छात्रों को इस बाबत अवेयरनेस कैंप लगाकर सावधान करें ताकि नित नये क्राइम में फंस रहे युवाओं को बचाया जा सके। ट्यूनीशिया से औसीमा बेन ने साइबर डाटा और उससे जुड़ी प्राइवेसी एवं सिक्योरिटी के खतरों को विस्तार से समझाया।
ट्यूनीशिया के ताहिर अमीने (साइबर क्राइम विशेषज्ञ) ने मॉडरेशन करते हुए पूरे संवाद एवं डिस्कशन को और अधिक प्रभावी बनाया। इस अंतर्राष्ट्रीय कॉन्क्लेव को अमेरिका से डॉ घनश्याम सिंह एवं भारत से चिराग शर्मा एवं आरुषि ने भी संबोधित किया।

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