हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर को पुन: निलंबित करने के सरकार के आदेश पर शुक्रवार को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्रारंभिक जांच फिर से करने के आदेश दिए हैं।
जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह निर्देश मुनेश गुर्जर की याचिका पर दिया। मुनेश की ओर से दलील देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने प्रार्थिया का निलंबन नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 के प्रावधानों व तथ्यों के विपरीत किया है। उसके खिलाफ जिन तथ्यों पर जांच हुई हैं, वे एफआईआर से ही साबित नहीं हो पाए थे।
वहीं मामले में जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश डीएलबी निदेशक ने निकाला, जबकि ऐसा आदेश राज्यपाल के निर्देशों के तहत ही जारी हो सकता है। इसके अलावा रूल्स ऑफ बिजनेस के तहत मेयर से संबंधित किसी भी कार्रवाई के लिए सीएम से भी अनुमोदन जरूरी है, लेकिन उनका निलंबन व जांच की कार्रवाई स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के आदेश पर की गई है।जवाब में राज्य सरकार की दलील थी कि प्रार्थिया को जांच के बाद ही निलंबित किया है और उन पर रूल्स ऑफ बिजनेस बाध्यकारी नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला बाद में देना तय किया।
एसीबी ने 4 अगस्त 2023 को जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर के घर छापा मारा था। टीम ने मेयर के पति सुशील गुर्जर और दो दलालों को गिरफ्तार किया था। सुशील पर पट्टे बनाने की एवज में 2 लाख रुपए की घूस मांगने का आरोप था। मेयर के घर सर्च में 40 लाख रुपए नकद मिले थे, जिनको गिनने के लिए नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी थी। इसके साथ ही एक दलाल के घर भी 8 लाख नकद बरामद हुए थे। इसके बाद 5 अगस्त को स्वायत्त शासन विभाग ने मुनेश गुर्जर को मेयर पद से निलंबित किया था।