राजस्थान रोडवेज़ में बसों की कमी का संकट गहराता ही जा रहा है. मौजूदा समय में रोडवेज़ के पास सिर्फ़ 2600 बसें हैं इनमें भी 1300 बसें ऐसी हैं जो कंडम होने की समय सीमा पूरी कर चुकीं हैं.
राजस्थान रोडवेज़ की बसें किसी समय में प्रदेश में परिवहन के क्षेत्र में भरोसे का पर्याय थी. लेकिन इस समय रोडवेज की दुर्गति के कारण यह भरोसा ख़त्म होता जा रहा है. अधिकतर ग्रामीण इलाक़ों तो रोडवेज़ की बस सेवा काफ़ी पहले दम तोड़ चुकी है अब शहरी इलाक़ों में भी बसों की कमी का अभूतपूर्व संकट है, हालात इतने ख़राब है कि शाम को 7 बजे के बाद राजधानी जयपुर से कई प्रमुख शहरों और क़स्बों के लिए बसें उपलब्ध नहीं हैं. इसका कारण है की रोडवेज में बसों की संख्या लगातार काफ़ी तेज़ी से कम हो रही है. बसों की कमी का संकट कितना बड़ा है इसका अंदाज़ा इसी आंकड़े से लगाया जा सकता है कि क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य में रोडवेज़ के पास महज़ 2600 बसें ही उपलब्ध हैं.
इन 2600 बसों में भी 1300 बसें ऐसी हैं जो कंडम होने की समय सीमा पूरी करने के बाद भी संचालित हो रहीं हैं. इसका नुक़सान यह है कि आये दिन दर्जनों की संख्या में बसें ब्रेक डाउन हो रहीं हैं तो वहीं सड़क हादसे भी बढ़ रहे हैं. रोडवेज़ के पास क़रीब 800 अनुबंधित बसें भी हैं लेकिन यह बसें भी इतने बड़े प्रदेश में ना के बराबर है. बसों की कमी के कारण लोगों को मजबूरन महँगे किराए पर डग्गेमार वाहनों में यात्रा करनी पड़ रहीं हैं. रोडवेज़ में बसों की कमी का फ़ायदा निजी बस ऑपरेटर उठा रहे हैं और लोगों से मनमर्ज़ी का किराया वसूल रहे हैं जिस पर परिवहन विभाग का कोई नियंत्रण नहीं हैं.
रोडवेज़ में बसों की कमी की समस्या काफ़ी पुरानी है लेकिन इसका स्थाई समाधान ढूँढने में अधिकारी बिफ़ल साबित रहे हैं. रोडवेज़ में नई बसों की निरंतर ख़रीद नहीं होने का एक बड़ा कारण आर्थिक संकट भी है. रोडवेज़ के पास अपने कार्मिकों को हर महीने समय पर देने के लिए वेतन ही उपलब्ध नहीं हो पाता है. सरकार भी घाटे में डूबी रोडवेज़ की आर्थिक मदद करते करते थक चुकी है.
हालांकि लंबे समय के बाद रोडवेज़ में नई बसों की ख़रीद होने जा रही है. रोडवेज़ प्रबंधन 510 बसों की ख़रीद प्रकिया शुरू कर चुका है लेकिन इतने बड़े प्रदेश में सिर्फ़ 510 बसें ऊँट के मुँह में जीरे के समान हैं.
रोडवेज़ को हर समय 4500 बसों के बेड़े की ज़रूरत हैं
लेकिन रोडवेज के पास सिर्फ़ 2600 बसें हीं उपलब्ध हैं
इनमें से 1300 बसें ऐसी हैं जो कंडम होने के नॉम्स पूरे कर चुकीं हैं
लेकिन बसों की कमी के कारण रोडवेज़ ने इन बसों को ऑफरूट नहीं किया है
इन बसों की हालत बहुत ख़राब है कौन सी बस कब ब्रेक डाउन हो जाये यह डर बना रहता है
800 अनुबंधित बसें भी इस समय रोडवेज के पास हैं लेकिन इन बसों पर रोडवेज का प्रभावी नियंत्रण नहीं है
510 नई बसों की ख़रीद प्रकिया रोडवेज़ ने शुरू की है
सुपर एक्सप्रेस ब्लू लाइन श्रेणी की नई बसें ख़रीदी जा रहीं हैं
अक्टूबर महीने तक यह बसें रोडवेज़ के बेड़े में शामिल हो जायेंगी