मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय चिकित्सा मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात में कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफ़े को लेकर बातचीत होने की बात भी सामने आ रही है। लेकिन अभी तब तक कोई निर्णय हो नहीं पाने से प्रदेश की राजनीति पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है और कई बार विपक्ष इस मुद्दे को उठाकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को घेरकर माहौल खराब करने का काम करते है। लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाने से पार्टी नेताओं में अनुशासनहीनता बढ़ रही है। इसे रोके जाने की जरूरत है। इस सबके बावजूद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान को लेकर फिलहाल गंभीर नजर नहीं आ रहा है।
अब चर्चा यह भी है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉ. करोड़ी लाल मीणा को 10 दिन बाद बुलाने का आश्वासन दिया था लेकिन डॉ. करोड़ी लाल मीणा को नहीं बुलाना यह संदेश देता है कि उनकी मांग को पार्टी का केंद्र नेतृत्व पूरा नहीं करना चाहता है। डॉ. करोड़ी लाल मीणा विधानसभा के सत्र से दूरी बना रखी है इसी के चलते विधानसभा विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी डॉ. करोड़ी लाल मीणा के प्रार्थना पत्र को सदन में रखकर अनुमति का प्रस्ताव भी पारित कर लिया है । हालही में जयपुर में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी डॉ. करोड़ी लाल मीणा नहीं पहुंचे इसको लेकर भी कार्यकर्ताओं और नेताओं में यहचर्चा रही कि आखिर उनके बारे में क्या कुछ निर्णय होगा !
17 जुलाई को विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली भी बोलेंगे और इसके बाद सरकार की ओर से उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी जवाब देंगी लेकिन उनके पास भी इसका कोई जवाब नहीं होगा की वे क्या बताएं। राजस्थान में होने वाले विधानसभा के 5 उप चुनाव को लेकर भी पार्टी की स्पष्ट कोई नीति सामने नहीं आ पा रही है। डॉ. करोड़ी लाल मीणा दौसा और देवली-उनियारा दोनों विधानसभा क्षेत्र में अपने पक्ष वालों को टिकट दिलाने की इच्छुक है यही कारण है कि वे अपने इस्तीफ़े कोई निर्णय नहीं कर रहे हैं।
केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के प्रभारी को लेकर के भी कोई निर्णय नहीं किया हैयही कारण है कि पार्टी के स्थानीय मुद्दों को लेकर कोई निगरानी रखने वाला भी नहीं है। ऐसे में पार्टी की स्थिति सुधारने की जगह बिगड़ती जा रही है। प्रदेश की राजनीति से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दूरी बना रखी हैं पहले की तरह दोनों नेता राजस्थान पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे भी प्रदेश के नेताओं में अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति बढ़ रही है जो की पार्टी के लिए ठीक नहीं है।