प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की तारीफ भी की. पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में क्षेत्रीय भाषाओं में अदालती फैसलों को उललब्ध कराने की मुहिम का मुद्दा उठाया. इस दौरान समारोह में देश के मुख्य न्यायाशीध जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे. तारीफ सुनकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया. दरअसल प्रधानमंत्री ने कहा था कि बच्चे मात्राभाषा में भी पढ़ सकें, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का भी धन्यवाद करते हैं.
पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, अब वह जो फैसला देगा, उसका ऑपरेटिव पार्ट उसी भाषा में होगा, जिसमें वह आया है. स्वतंत्रता दिवस के मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की तरफ से इस तरह सुप्रीम कोर्ट की तारीफ अपने आप में अनूठी बात है. दरअसल गणतंत्र दिवस की 73वीं वर्षगांठ पर एक हजार से अधिक फैसलों का अनुवाद अपलोड किए जाने से यह नहीं शुरुआत हुई है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की देखरेख में अनुवाद का यह कार्य तेजी से हो रहा है.
इन भाषाओं में हो रहा है अनुवाद
ज्ञात हो कि इसी साल देश के गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट ने 1000 से ज्यादा फैसलों का 10 भाषाओं में ट्रांसलेशन करके इसकी शुरुआत की. दरअसल 26 जनवरी ही सुप्रीम कोर्ट का स्थापना दिवस भी होता है और इस दिन को अनुवाद जारी करके सुप्रीम कोर्ट ने यादगार बना दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को हिंदी के अलावा पंजाबी, गुजराती, बांग्ला, ओडिया, तमिल, असमी, खासी, गारो और नेपाली भाषाओं में अनुवाद करवाया जा रहा है.
यही नहीं क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद का दायरा आगे और भी बढ़ाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले आम नागरिक और विशेषतौर पर अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति तक पहुंचे इसके लिए अनुवाद का यह फैसला सच में तारीफ के काबिल है. न्यायालय के फैसलों तक आम व्यक्ति की पहुंच बनाने के लिए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की यह मुहिम तेजी से चल रही है.
आसान होगा सुप्रीम कोर्ट के फैसले समझना
अदालत का दरवाजा खटखटाना तो आसान है, लेकिन फैसले को समझना ज्यादातर लोगों के लिए मुश्किल होता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद की पहल करके लोगों तक पहुंच बढ़ाई है. इस पहल से आम लोग आसानी से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को समझ पाएंगे. इससे फायदा यह होगा कि लोग स्वयं अपनी भाषा में फैसला पढ़कर कानूनी प्रक्रिया के भागीदार बन सकेंगे.
इस मुहिम के तहत सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में फैसलों की तादाद बढ़ती जा रही है. इसी साल गणतंत्र दिवस से शुरू हुई यह पहल अब रंग लाने लगी है. ट्रांसलेशन के लिए आधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है. फैसलों का अनुवाद ठीक से हो, इसके लिए न्यायिक अधिकारियों की भी मदद ली जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के ही जज जस्टिस अभय एस ओक की निगरानी में यह कार्य हो रहा है. पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले की जमकर तारीफ की है.