मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही है। इस लक्ष्य की प्राप्ति में नवीकरणीय ऊर्जा का अहम योगदान है। इसलिए राज्य सरकार प्रदेश में पम्प भण्डारण परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के लिए नीति लाने जा रही है।
मुख्यमंत्री शर्मा सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में विभिन्न विकासकर्ताओं के साथ आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन एवं पर्यावरण संरक्षण में पम्प भण्डारण परियोजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। ऐसी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार एक स्पष्ट और ठोस नीति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि आगामी नीति से निवेशकों को पम्प भण्डारण परियोजनाओं की स्थापना एवं संचालन के संबंध में स्पष्ट मार्गदर्शन मिलेगा और वे इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए आकर्षित होंगे। उन्होंने विकासकर्ताओं से कहा कि वे अपने सुझाव राज्य सरकार को प्रेषित करें जिनका उचित परीक्षण कर राज्य सरकार आगामी नीति में शामिल करेगी।
7100 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए निगम ने चिन्हित किए स्थान —
बैठक में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक नथमल डिडेल ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से पम्प भण्डारण परियोजनाओं की प्रगति के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने प्रदेश में 8 संभावित स्थानों पर 7100 मेगावाट की पम्प भण्डारण परियोजनाओं का चिन्हीकरण किया है। साथ ही, कई विकासकर्ता भी पम्प भण्डारण परियोजनाओं से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राजस्थान विंड एंड हाइब्रिड एनर्जी पॉलिसी- 2019 एवं राजस्थान अक्षय ऊर्जा नीति- 2023 के प्रावधानों के अंतर्गत पम्प भण्डारण परियोजनाओं पर कार्य किया जाता है।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण श्रीमती अपर्णा अरोरा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल एवं प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी एवं निजी विकासकर्ताओं के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।