Saturday, October 19, 2024

वैश्विक तकनीकी, शिक्षा और स्किल के त्रिआयामी मॉडल से ही बेरोज़गारी की समस्या का हो सकता है समाधान-डॉ डीपी शर्मा

Must read

बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। खासकर भारत में बेरोजगार नौजवान अपनी मंजिल को ढूंढते ढूंढते हार मान जाते हैं। कई अपनी मंजिल को पाने के लिए की जी-जान से मेहनत करते हैं,लेकिन उन्हें उनकी मेहनत का वह फल नहीं मिलता जिसके वह काबिल होते हैं। हर देश को अपने युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था करना प्राथमिकता में होना चाहिए और आज के समय में इसका वैश्वीकरण होना बहुत जरूरी हो गया है। युवाओं को बेरोजगारी के चक्रव्यूह से बाहर निकलना है तो वैश्विक तकनीकी,वैश्विक शिक्षा और वैश्विक स्किल के त्रिआयामी मॉडल पर काम करना होगा।

यूनाइटेड नेशंस से जुड़े सूचना तकनीकी विशेषज्ञ एवं अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल डिप्लोमेट डॉ डीपी शर्मा ने इस विषय पर बहुत ही गंभीरता से अपने विचार प्रकट किए । राजस्थान के धौलपुर जिले के राजाखेड़ा निवासी डॉ डीपी शर्मा अजरबैजान की यात्रा के बाद भारत लौटे। जहां पर उन्होंने पूर्व में सोवियत संघ के घटक रहे देशों जिनमें अजरबेजान की शिक्षा एवं तकनीकी विशेषज्ञों से शिक्षा के इंटरनेशनलाइजेशन एवं गुणवत्ता संबंधी मुद्दों पर खुलकर और गहराई के साथ चर्चा की।

शैक्षणिक एवं तकनीकी सैंडविच मॉडल पर बात करते हुए डॉक्टर डीपी शर्मा ने बताया कि भारत को अब वैश्विक शिक्षा प्रणाली से जुड़कर अपने शैक्षणिक संस्थाओं को दुनिया के दूसरे शैक्षणिक संस्थानों से जोड़कर संयुक्त रूप से सैंडविच प्रोग्राम्स चालू करने चाहिए,जिसमें वैश्विक संस्थान भारत से सीख भी सकते हैं और भारत के संस्थान अन्य वैश्विक उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों से शिक्षा एवं तकनीकी दक्षता हासिल करते हुए अपने शिक्षा तंत्र को परस्पर सहयोग से और बेहतर बना सकते हैं।

डॉ डीपी शर्मा ने आज भारत में चल रही शिक्षा तंत्र पर बोलते हुए कहा कि आज भारत में बेरोजगारी सरकारी तंत्र की कमजोरी नहीं बल्कि शिक्षा तंत्र और शिक्षक एवं छात्रों की मानसिक अवस्था के कारण है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में शिक्षा तंत्र अभी भी नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में उदासीनता दिखाते हुए पूरी तरीके से पुराने शिक्षा तंत्र की री इंजीनियरिंग नहीं कर पाए हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कोई भी तंत्र आज की दुनिया में 10 साल से पुराना होने के बाद अपनी महत्वता को खो देता है।

डॉक्टर डीपी शर्मा ने कहा कि परिवर्तन दुनिया का शाश्वत नियम है और यह परिवर्तन शिक्षा में धीमी गति से होता है और यही धीमी गति उद्योग एवं व्यवसाय के तकनीकी परिवर्तन के साथ तालमेल नहीं बिठा पाती, जिसके कारण बेरोजगारी पनपती है। भारत को यदि नई शिक्षा नीति 2020 को सफल बनाना है तो नई शिक्षा नीति के मॉडल को लागू करने वाले लोगों में विदेशी विशेषज्ञ भी होने चाहिए और लागू करने की नीति पूरी तरीके से राजनीति और ब्यूरोक्रेसी से मुक्त होनी चाहिए इस अवसर पर उन्होंने अजरबेजान का टोकन ग्रेटीट्यूड के रूप में विशेष मेडल ऑफ ऑनर भी दिया गया।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article