टोंक में बजरी माफियाओं के खिलाफ चल रही जांच को लेकर हाईकोर्ट ने टोंक के पीपलू थाना क्षेत्र में एक साल पहले बजरी से भरे ट्रैक्टर के ड्राइवर शंकर मीणा की हत्या के मामले में जांच अब सीबीआई को सौंप दी है। कोर्ट ने पुलिस पर भरोसा न करते हुए यह निर्णय लिया है, क्योंकि पुलिस और बजरी माफिया के बीच मिलीभगत के संकेत मिले हैं।
जस्टिस समीर जैन की अदालत ने इस मामले में सीबीआई को 60 दिनों के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, इस मामले में आरोपी अभिषेक और नीरज की जमानत भी खारिज कर दी गई है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में ढिलाई बरती और बजरी लीज होल्डर के खिलाफ जांच को एक साल तक पेंडिंग रखा।
यह मामला 29 जून को पीपलू थाने में दर्ज किया गया था, लेकिन पुलिस ने धरना-प्रदर्शन और राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद ही एफआईआर दर्ज की थी। कोर्ट ने इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि मेडिकल बोर्ड की भूमिका भी संदिग्ध है।
सरकारी वकील शेर सिंह महला ने अदालत को बताया कि बजरी माफिया ने इस हत्या को एक उदाहरण स्थापित करने के लिए अंजाम दिया, ताकि कोई भी उनके इलाके से बजरी चुराने का साहस न करे। इसके अलावा, मृतक के वकील मोहित बलवदा ने बताया कि कोर्ट ने इस बात को भी माना है कि घटना वाले दिन पुलिस को आरोपियों ने खुद बुलाया था, लेकिन पुलिस ने इस जानकारी को रोजनामचे में दर्ज नहीं किया और घटना को दुर्घटना का रूप देने की कोशिश की। इस मामले में सीबीआई की जांच से उम्मीद है कि सत्य सामने आएगा और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।