हाइलाइट्स: Rajasthan govt new land lease policy
- नया नियम: पट्टों की फाइलों पर 15 दिनों के भीतर साइन करना अनिवार्य।
- पट्टेधारक की फोटो: अब पट्टे पर पट्टेधारक की फोटो अनिवार्य होगी।
- समयबद्ध प्रक्रिया: अगर साइन नहीं किए गए, तो फाइलें स्वतः अगले स्तर पर भेजी जाएंगी।
- जनता को लाभ: पट्टा प्रक्रिया तेज़ होगी, धोखाधड़ी से बचाव होगा।
- पूर्व सरकार: गहलोत सरकार के आदेशों पर लगी थी रोक।
- वर्तमान सरकार: नए दिशा-निर्देशों से पट्टा प्रक्रिया में सुधार।
अब पट्टों की फाइल नहीं रोक सकेंगे मेयर, सभापति और चेयरमैन: 15 दिन में साइन करना अनिवार्य Rajasthan govt new land lease policy 2024
राजस्थान सरकार ने पट्टा वितरण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तेज़ बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब मेयर, सभापति, और चेयरमैन के पास पट्टों की फाइलें अटकेंगी नहीं। इस नए निर्णय के तहत, पट्टों की फाइलों पर 15 दिनों के भीतर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, पट्टेधारक की फोटो भी पट्टे पर लगाई जाएगी, जिससे पहचान में आसानी होगी और धोखाधड़ी की गुंजाइश खत्म होगी।
राजस्थान सरकार का नया निर्णय
निर्णय का उद्देश्य
इस नए फैसले का मुख्य उद्देश्य पट्टा वितरण प्रक्रिया को सरल, तेज़ और पारदर्शी बनाना है। पहले, नगर निगम और परिषदों में कई बार देखा गया था कि मेयर, सभापति और चेयरमैन के पास पट्टों की फाइलें अटक जाती थीं, जिससे जनता को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इन देरी की वजह से जनता को कई बार अपने पट्टे के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था।
प्रक्रिया में बदलाव
सरकार द्वारा लागू किए गए इस नए नियम के तहत, अब जैसे ही पट्टों की फाइल, संबंधित अधिकारियों के पास पहुंचेगी, उन्हें 15 दिनों के भीतर साइन करना होगा। यदि अधिकारी इस समय सीमा के भीतर साइन नहीं करते, तो फाइलें स्वतः ही अगले स्तर पर भेज दी जाएंगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी नहीं होगी और पट्टे जल्द से जल्द जारी किए जा सकें।
इसके साथ ही, पट्टे पर अब पट्टेधारक की फोटो भी अनिवार्य रूप से लगाई जाएगी। यह कदम पहचान में आसानी और संभावित धोखाधड़ी को रोकने के लिए लिया गया है।
पिछली और वर्तमान सरकार के निर्णय
पिछली गहलोत सरकार के दौरान पट्टा वितरण की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए थे। “प्रशासन शहरों के संग” अभियान के तहत पट्टे जारी करने का काम तेज किया गया, लेकिन समय के साथ इसमें अधिकारियों की मनमानी और जन प्रतिनिधियों के अधिकारों में हस्तक्षेप की शिकायतें भी आईं। बीकानेर नगर निगम की मेयर सुशीला कंवर राजपुरोहित द्वारा इस मुद्दे को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसमें कोर्ट ने सिंगल साइन से पट्टे जारी करने पर रोक लगा दी।
वर्तमान सरकार ने इस प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और संरचित बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब जन प्रतिनिधियों को भी समयबद्ध तरीके से कार्य करने के लिए बाध्य किया गया है, ताकि जनता को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
जनता को लाभ
पट्टा प्रक्रिया में पारदर्शिता
इस नए नियम से जनता को प्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा। पहले जहां लोगों को अपने पट्टे के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था, अब यह प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी। अधिकारियों द्वारा देरी करने की संभावनाएं कम होंगी, और जनता को समय पर अपने पट्टे मिलेंगे।
धोखाधड़ी से सुरक्षा
पट्टे पर पट्टेधारक की फोटो लगने से यह सुनिश्चित होगा कि किसी और के नाम पर पट्टा जारी न हो। इससे धोखाधड़ी की संभावनाएं कम होंगी, और गलत तरीके से पट्टे हासिल करने वाले लोगों पर रोक लगेगी।
प्रक्रिया में जवाबदेही
अब मेयर, सभापति और चेयरमैन को भी समय सीमा में काम करने के लिए बाध्य किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि पट्टे बिना किसी अड़चन के जारी किए जा सकें। यदि जन प्रतिनिधि 15 दिनों के भीतर साइन नहीं करते हैं, तो फाइलें स्वतः ही अगले स्तर पर चली जाएंगी। इससे जवाबदेही भी बढ़ेगी और देरी की समस्याएं कम होंगी।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार का यह नया कदम राज्य में पट्टा वितरण प्रक्रिया को पारदर्शी और तेजी से लागू करने में मदद करेगा। जहां पहले जनता को महीनों तक इंतजार करना पड़ता था, अब 15 दिनों के भीतर फाइलें निपटाने का प्रावधान कर दिया गया है। इसके साथ ही, पट्टे पर फोटो लगने से पहचान में स्पष्टता और धोखाधड़ी से सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यह फैसला जनता के लिए लाभदायक साबित होगा और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाएगा।