Rajasthan Assembly by election 2024: राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर आगामी उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल पूरी तरह तैयार हैं। भाजपा और कांग्रेस के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) भी इस चुनावी (Rajasthan Assembly by election) महासंग्राम में पूरी ताकत झोंक रही हैं। इन सीटों पर जीत के लिए हर दल के भीतर बैठकों का दौर जारी है और रणनीतियों पर मंथन हो रहा है।
बीएपी और आरएलपी की चुनौती (BAP and RLP challenge)
पिछले चुनावों में बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा सीट पर बीएपी की जीत ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एक बड़ा झटका दिया था। इस बार भी बीएपी और आरएलपी जैसे क्षेत्रीय दलों की मजबूत पकड़ से दोनों राष्ट्रीय दलों को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है। इन दलों के गठबंधन ने राजस्थान की राजनीति में नए समीकरण बना दिए हैं, जो कांग्रेस और भाजपा के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं।
भाजपा के लिए तीन सीटों पर चुनौती
भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष के सामने इस उपचुनाव में समय कम है, और उन्हें तेजी से रणनीति बनानी होगी। खासकर सलूंबर और रामगढ़ जैसी सीटों पर पार्टी को कड़ी मेहनत करनी होगी। भाजपा को तीन प्रमुख सीटों पर जीत की संभावना दिख रही है, लेकिन सभी सीटों पर जीत पाना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है।
कांग्रेस का पायलट फैक्टर
कांग्रेस में उपचुनाव के लिए टिकट बंटवारे में सचिन पायलट के समर्थकों की भूमिका अहम हो सकती है। दौसा, देवली उनियारा और झुंझुनू जैसी सीटों पर पार्टी के लिए सचिन पायलट की पसंद का असर दिख सकता है। इन सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन आगामी चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
क्षेत्रीय दलों की मजबूत पकड़
खींवसर और चौरासी जैसी सीटों पर आरएलपी और बीएपी की मजबूत पकड़ ने भाजपा और कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है। इन सीटों पर क्षेत्रीय दलों का दबदबा पिछले चुनावों में साफ देखा गया है। अगर यह दल कांग्रेस के साथ गठबंधन में बने रहते हैं, तो दोनों ही सीटों पर मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
10 सालों में कांग्रेस का दबदबा
राजस्थान में पिछले 10 सालों के उपचुनाव परिणामों पर नजर डालें तो कांग्रेस ने भाजपा पर भारी बढ़त बनाए रखी है। 2013 से 2023 तक हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा को सिर्फ 4 सीटों पर जीत हासिल हो पाई थी। इस बार भी उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा की तुलना में बेहतर रहने की संभावना जताई जा रही है।
क्षेत्रीय दलों का उभार
पिछले उपचुनावों में बीएपी और आरएलपी ने अपनी-अपनी सीटों पर प्रभुत्व साबित किया है। खासकर चौरासी और खींवसर सीटों पर इन दलों की पकड़ मजबूत रही है, जिससे भाजपा और कांग्रेस को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है।
राजस्थान के इन सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव कई नेताओं के राजनीतिक भविष्य की दिशा तय करेंगे। जहां भाजपा को अपने जमीन स्तर पर मेहनत करनी होगी, वहीं कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव अपनी सत्ता को बरकरार रखने का महत्वपूर्ण मोर्चा साबित हो सकता है। क्षेत्रीय दलों की मजबूती इस चुनाव को और भी रोचक बना रही है, जिससे मुकाबला कड़ा होता नजर आ रहा है।