Monday, December 23, 2024

बिजली मंत्री हीरालाल नागर का विवादित बयान,पेड़ काटकर बिजली उत्पादन की योजना

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राजस्थान में बिजली संकट के मुद्दे पर सरकार और मंत्रियों की बयानबाजी फिर से चर्चा का विषय बन गई है। हाल ही में बीजेपी सरकार में बिजली मंत्री हीरालाल नागर के एक भाषण ने सवाल खड़े कर दिए हैं प्रेस कांफ्रेंस में जब एक पत्रकार द्वारा बिजली उत्पादन और पेड़ों की कटाई का मुद्दा पर मंत्रीजी से सवाल किया गया तो वह अपनी ही सरकार की किरकिरी करते नजर आए.. समझ नहीं आ रहा क्या वे सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं या अपनी विफलताएं उजागर कर रहे हैं।

आपको बतादें, मंत्री हीरालाल नागर ने बारां के शाहाबाद में बिजली उत्पादन के लिए एक लाख से अधिक पेड़ों की कटाई का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में सबसे बड़ी प्राथमिकता बिजली उत्पादन है। हालांकि, पर्यावरणविद और पूरी दुनिया इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पर्यावरण और पृथ्वी का संरक्षण आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। हीरालाल नागर का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

बिजली मंत्री का तीन मिनट का भाषण न केवल उनके अनुभव की कमी को उजागर करता है, बल्कि कई मुद्दों पर उनकी जानकारी की भी कमी दिखाता है।

मंत्री जी का दावा था कि पेड़ काटने के बाद बारां में फिर से पेड़ लगाए जाएंगे। लेकिन सवाल उठता है कि जैसलमेर में 400 हेक्टेयर भूमि क्यों आवंटित की गई? मंत्री जी खुद अपनी प्रक्रिया में खामियां उजागर करते नजर आ रहे हैं।

हीरालाल नागर ने चीता कॉरिडोर के बारे में दावा किया कि यह क्षेत्र 45 किलोमीटर दूर है, जबकि वास्तविकता यह है कि यह कॉरिडोर गांधी सागर के नए चीता अभयारण्य का मार्ग है। इस क्षेत्र में चीते पहले भी आ चुके हैं, जिससे मंत्री का बयान पूरी तरह गलत साबित होता है।

मंत्री हीरालाल नागर ने दावा किया कि 60000 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा है, लेकिन असल में यह आंकड़ा 30000 हेक्टेयर का है। सवाल उठता है कि यदि यह जानकारी सरकार के पास है, तो सरकार कब्जे हटवाने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रही? यह भी सवाल है कि एक मंत्री होने के बावजूद वे इस मुद्दे को जस्टिफाई क्यों कर रहे हैं?

    यह सवाल अब उठता है कि मंत्री हीरालाल नागर सरकार की उपलब्धियां बताने की कोशिश कर रहे थे या उनकी अपनी सरकार की विफलताओं को सामने ला रहे थे। उनके भाषण से साफ है कि सरकार के भीतर अफसरशाही का बोलबाला क्यों है और क्यों सरकार अपने वादों को पूरा करने में विफल होती दिख रही है।

    मंत्री जी के इस भाषण ने न केवल सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जनता के बीच भी असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है कि आखिरकार बिजली उत्पादन अधिक जरूरी है या पर्यावरण का संरक्षण।

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