रेजीडेंट डॉक्टर्स ने रविवार से अपने 8 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यभर में पूर्ण कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है, जिसके चलते कई बड़े शहरों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो गई हैं। बीकानेर, अजमेर, जोधपुर जैसे प्रमुख शहरों में डॉक्टरों ने आउटडोर (ओपीडी), इनडोर, इमरजेंसी, आईसीयू और लेबर रूम में सेवाएं देना बंद कर दिया है। इस हड़ताल से सोमवार से प्रदेशभर के अस्पतालों में हालात और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
रेजाडेंट्स ने चिकित्सा मंत्री की चेतावनी को किया दरकिनार
रेजीडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते अस्पतालों में मरीजों को इलाज मिलने में कठिनाई हो रही है। चिकित्सा मंत्री की चेतावनी को दरकिनार करते हुए, सीनियर डॉक्टर्स ने व्यवस्था को संभालने की कोशिश की है, लेकिन रेजीडेंट्स के बहिष्कार से स्थिति और गंभीर हो रही है।
रेजीडेंट्स के हड़ताल के बाद राजस्थान के इन बड़े शहरों के बिगड़े हालात
बीकानेर के 550 रेजीडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं। उन्होंने ओपीडी, इनडोर, कैजुअल्टी और आईसीयू में मरीजों को देखना बंद कर दिया है। जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट्स ने ओपीडी, इनडोर, ऑपरेशन थिएटर, इमरजेंसी, आईसीयू और लेबर रूम में काम नहीं किया। मरीज एक टेबल से दूसरे टेबल तक दौड़ते रहे, लेकिन कोई इलाज नहीं हो पाया।
अजमेर में ओपीडी के कई कमरों के ताले भी नहीं खुले, जिसके कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए 35 सीनियर डॉक्टर्स को बुलाया गया, और कई डॉक्टर्स के अवकाश निरस्त कर दिए गए।
शिकंजा कसने की तैयारी में राजस्थान सरकार
राज्य सरकार और विभागीय अधिकारियों ने बार-बार हो रही हड़ताल से नाराजगी जाहिर की है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने भी रेजीडेंट्स की हड़ताल को पूरी तरह से गलत बताया। वहीं, सरकारी स्तर पर इस हड़ताल के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी की जा रही है।
रेजीडेंट डॉक्टर्स की प्रमुख मांगों में डॉक्टरों की सुरक्षा और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। फिलहाल, सीनियर चिकित्सक अस्पतालों की व्यवस्था संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हड़ताल की वजह से मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।