राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान शिक्षकों की समस्याओं पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा लंबे समय से 37 हजार से अधिक अधिशेष शिक्षकों के समायोजन की मांग की जा रही थी। इससे शिक्षकों को उनके मूल पद और एसीपी (Assured Career Progression) से जुड़ी समस्याओं से निजात मिल सकेगी। इस मुद्दे को कई बार मीडिया द्वारा भी उठाया गया, लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हो सका है।
शिक्षा विभाग के समायोजन आदेश पर सवाल
शर्मा का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा शाला दर्पण पोर्टल पर स्वीकृत पदों के अनुसार ही समायोजन किया जाना चाहिए, जबकि विभाग 2015 के समानीकरण नियमों के आधार पर समायोजन की योजना बना रहा है। संगठन का मत है कि अधिशेष शिक्षकों का समायोजन 2021 के नियमों के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि विभाग पहले ही दो बार, 15 अगस्त 2024 और 6 अक्टूबर 2024 को समायोजन के आदेश जारी कर चुका है, लेकिन इनमें संशोधन की कमी के चलते इन्हें पुनः समयबद्ध रूप में जारी किया गया है।
अधिशेष शिक्षकों के समायोजन में विसंगतियां
संगठन के मुख्य महामंत्री महेंद्र पांडे का मानना है कि वर्तमान समायोजन प्रक्रिया में कई नई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अधिशेष शिक्षकों के समायोजन के लिए पारदर्शिता और स्पष्ट नियमावली आवश्यक है ताकि भविष्य में विवादों से बचा जा सके।
शिक्षा मंत्री और निदेशकों को ज्ञापन सौंपा
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री एवं दोनों निदेशकों को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने निम्नलिखित बिंदुओं पर स्पष्टीकरण की मांग की है:
2015 के स्टाफिंग पैटर्न में कला संकाय की सी.सै. स्कूलों में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के पदों को नहीं रखा गया था। इसके चलते 2021 में शाला दर्पण पोर्टल पर समायोजित शिक्षकों को अब अन्यत्र स्थानांतरित किया जा रहा है, जो अनुचित है।
दिशा निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि अंग्रेजी माध्यम के लिए चयनित शिक्षकों की नियुक्ति के बाद ही समायोजन किया जाएगा। हिंदी माध्यम के शिक्षकों का अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों में समायोजन करना अनुचित है।
नव क्रमोन्नत सी.सै. स्कूलों में समायोजन के लिए दिशा निर्देशों में स्पष्टता की कमी है, जिससे विवाद उत्पन्न हो सकता है।
स्टाफिंग पैटर्न 2015 के अनुसार कक्षा 1 से 5 में 150 से अधिक छात्र होने पर हैड टीचर का प्रावधान है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस आधार पर इन पदों को स्वीकृत किया जाएगा।
उच्च माध्यमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षक के पदों के लिए स्पष्ट समायोजन आदेश नहीं दिए गए हैं।
महात्मा गांधी विद्यालयों में संविदा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पारदर्शिता की कमी है, जिससे स्थायी शिक्षकों के हित प्रभावित हो सकते हैं।
समायोजन के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश की मांग
शिक्षक संघ ने मांग की है कि प्राथमिक शिक्षा में समायोजन प्रक्रिया की तरह माध्यमिक शिक्षा के लिए भी स्पष्ट काउंसलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे अधिशेष शिक्षकों को उनकी वरिष्ठता और सुविधाजनक स्थान पर समायोजित किया जा सकेगा।
शिक्षा मंत्री से उम्मीद
शिक्षक संघ का कहना है कि यदि सरकार और शिक्षा विभाग ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो अधिशेष शिक्षक विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे या फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। संगठन का उद्देश्य यह है कि शिक्षकों को उनके अधिकार और सम्मान मिलें, ताकि वे बिना किसी बाधा के अपनी शिक्षण सेवाएं दे सकें।
इस विषय पर सभी शिक्षकों और शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारियों की निगाहें टिकी हुई हैं। उम्मीद है कि सरकार इस मामले में शीघ्रता से उचित कदम उठाएगी।